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॥हिन्दू नव-वर्ष की अनंत शुभकामनाएँ॥

कैलेण्डर के नए वर्ष को मानें, पर भारतीय नवसंवत्सर विक्रमी 2080 - नए वर्ष को भी इस गीत के माध्यम से अवश्य जानें॥


जो हमें नई उमंग, नये उल्लास, नई आस्था और नव-विश्वास से ओतप्रोत कर "वसुधैव कुटुम्बकम" (ONE PLANET - ONE FAMILY) के प्रकल्प से जोड़ने को संकल्पित है और जिसकी ओर सारी मानवता टकटकी लगाए देख रही है।


सत्य नही कहता किन्चित कि,

भौतिक उन्नति को हम भूलें।।

किन्तु सनातन के मूल्यों को,

पाकर हम सब नभ को छू लें।। 


एक देश जिसने सारी धरती,

को माना निज-परिवार।

आज मनुजता आतुरता से,

करने चली उसे स्वीकार।।


हमने माना हमने जाना,

मंगल की दुनियाँ है दूर।

किन्तु हमारे अनुयायी को,

मंगल-जीवन मिले जरूर।।


सत्य सनातन संस्कृति को अब,

पश्चिम ने है पहचाना।

शान्ति-पाठ उनकी संसद में,

शुरू हो गया है गाना।।


नव-संवत्सर नए-वर्ष में

हम भी लें अभिनव संकल्प।

अखिल लोक में ले जाएँगे,

ऋषि प्रणीत प्यारा परकल्प।।


हम बदलेंगे जग बदलेगा,

हम सुधरेंगे जग सुधरेगा।

इसी नीति को सब मानेंगे,

नया यही संविधान बनेगा।।


इसी भाव से युक्त कामना,

लेकर चलें निरन्तर आगे।

कोई कहीं विछुड़ ना जाये,

ना कोई इस सच से भागे।।


हे करुणा निधान सारा जग,

श्रेष्ठ  राह पर चलता जाए।

सद्बुद्धि उज्ज्वल भविष्य,

अब अखिल लोक आगे नित पाए।।


*डॉ. राकेश मिश्र परिवार *

नई दिल्ली 

🙏🙏🍁🍁🙏🙏


।।जय हिन्द-जय भारतवर्ष।।


॥एक बार पुनः आपको सपरिवार  सद्बुद्धि और उज्ज्वल भविष्य की अप्रतिम मंगलकामनाएँ और विनम्र प्रणाम ! अभिनन्दन॥


 

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