ads header

Breaking News

विरागोदय महामहोत्सव में गणाचार्य विराग सागर जी ने दी 19 दीक्षाएं मुनि श्री विहर्ष सागर को आचार्य, मुनि श्री विरंजन सागर को मिला उपाध्यक्ष पद

 पथरिया । - विरागोदय महामहोत्सव जो जैन धर्म के विशाल एवं भव्य आयोजन के तेरहवां दिवस स्वर्णिम इतिहास में लिखा गया । जहां गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज ने अपने करकमलों से  आचार्य, स्थविर, गणधर, उपाध्याय, प्रर्वतक, मुनि, छुल्लक, तथा गणनी के पद के संस्कार विधिपूर्वक दियें ।आचार्य पद मुनि श्री विहर्ष सागर जी को और उपाध्याय पद जनसंत मुनि श्री विरंजन सागर जी को भी दिया गया। इस अवसर पर तीस हजार से भी अधिक श्रद्धालुओं ने साक्षी बनकर पुण्य लाभ प्राप्त किया ।

       विरागोदय महामहोत्सव की मीडिया समिति के राजेश रागी रोहित जैन ने बताया कि श्रमण मुनि श्री 108 विहर्ष सागर जी के लिए आचार्य पद प्रदान किया गया। मुनि श्री विहित सागर जी को स्थविर का पद,  मुनि श्री विवर्धन सागर जी को गणधर  पद के संस्कार दिए गए। इसी क्रम में उपाध्याय  पद के संस्कार मुनि श्री विशोक सागर,मुनि श्री विनिश्चल सागर, मुनिश्री विश्रुत सागर, मुनिश्री विहसन्त सागर,  मुनिश्री विभंजन सागर, मुनि श्री विकसंत सागर, मुनिश्री विरंजन सागर जी के विधि विधान से किये। मुनिश्री विश्व नायक सागर जी के लिए प्रवर्तक पद के संस्कार प्रदान किये। ऐलक श्री विनियोग सागर जी को मुनि पद प्रदान किया । क्षुल्लक श्री विसौम्य सागर,क्षुल्लक  श्री विविक्षित सागर,क्षुल्लक श्री विश्वसाम्य सागर,

क्षुल्लक श्री निर्वेग सागर जी महाराजो के लिए मुनिपद प्रदान कर संस्कारित किया। कईं वर्षो से संघस्थ रहने वाले ब्रह्मचारी भैया कैलाश चंद्र जी उम्र 70 वर्ष निवासी बृजपुर पन्ना,प्रकाश चंद जी उम्र 78 वर्ष  निबासी पथरिया के लिए भी क्षुल्लक दीक्षा प्रदान की जिनके नामकरण संस्कार में क्षुल्लक 105 श्री विश्वोतीर्ण सागर एवं क्षुल्लक 105 श्री विश्वासी सागर नाम प्रदान किया गया।साथ ही श्रमणी आर्यिका 105 विशिष्ट श्री माता जी को गणनी आर्यिका पद से विभूषित किया।आज पंडाल में इतनी अधिक जनता आई हुई थी कि लोग पंडाल के बाहर भी खड़े होकर दीक्षाएँ देखकर धर्म लाभ ले रहे थे। साथ ही दिल्ली, ग्वालियर, डबरा,मुरैना,झांसी, टीकमगढ़, रायपुर,कानपुर,बम्बई, नागपुर आदि अनेक नगरों से भी अनेक भक्त दर्शन की भावना लेकर आये थे साथ ही भगवान धर्मनाथ की 31 फुट की विशाल प्रतिमा का अभिषेक करने का पुण्यलाभ भी श्रावको को मिला।     


🙏सादर प्रकाशनार्थ


🙏राजेश रागी/रत्नेश जैन बकस्वाहा










No comments