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अंतरराष्ट्रीय रामलीला महोत्सव ऋषिकेश का भव्य आगाज, पर्यावरण चेतना और राष्ट्र प्रथम संदेश सहित बाल कलाकारों की भाव पूर्वक प्रस्तुति

 *राष्ट्र हित और सार्वभौमिक प्रेम से ओत प्रोत रही दूसरे दिन की लीला:डॉ. राकेश मिश्र *


नई दिल्ली।अंतरराष्ट्रीय राम लीला महोत्सव के दूसरे दिन की लीला के मंचन में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के उदात्त चरित्र के जरिये राष्ट्र हित और सार्वभौमिक प्रेम का बेहद मार्मिक वर्णन किया गया।

सबसे पहले ज्ञानी राजा दशरथ द्वारा अपने किशोर पुत्रों राम और लक्ष्मण को निशाचरों के वध के लिये विश्वामित्र मुनि के साथ विकट वन में यानी प्रकृति के समक्ष भेजना लोक कल्याण के साथ साथ दूसरों के हितों को हमेशा सर्वोपरि रखने की सीख दे गया। पिता दशरथ की इसी राष्ट्र हित और दूसरों के कल्याण की भावना को लीला में प्रभु राम ने बखूबी निभाया। इस दौरान सबसे पहले जनकल्याण के लिये उन्होंने अपने अनुज लछमण के साथ मिलकर असुरी ताड़का का वध किया। बाद में उसके दोनों असुर पुत्रों मारीच और सुबाहु का भी वध कर ऋषियों के यज्ञ कर्म में पड़ने वाली बाधाओं को हमेशा के लिये दूर कर दिया। मुनि विश्वामित्र के साथ इसी वन गमन के क्रम में पति के श्राप से पत्थर बन चुकी अहिल्या का उद्धार करते हुए प्रभु राम ने अपनी करुणा और उदात्त भावों का विराट परिचय इस संसार को कराया। 


अहिल्या उद्धार के दौरान कथा व्यास अजय भाई जी की मधुर वाणी ने भक्ति का पूर्ण समर्पण वाला भाव उमेड़ दिया कि तारा है राम तुमने अहिल्या को तारा अब प्रभु हमको भी तारो।अजय जी लीला के दर्शक भक्तों से यह भी कह दिये कि गंगा किनारे बैठे हुए आप सब भी प्रभु से अपने को तारने की विनती इतनी जोर से करो की माँ गंगा इसे पूरी तरह सुन ले।उल्लेखनीय है कि हमारे प्राचीन धर्म में माँ गंगा को ही सबसे बड़ी तारणहार कहा गया है।

देवाधिदेव महादेव के गिरिजा के कथा स्वरूप संवाद के साथ ही दूसरे दिन की लीला की शुरुआत होती है जिसमें महादेव पार्वती से पूछने पर कहते हैं कि ईश्वर साकार और निराकार दोनों रूप में है। बल्कि हमारे यहां भगवान भक्त के परवश में आकर उसके भाव स्वरूप ही प्रकट हो जाते हैं। लीला में अजय भाई जी आगे कहते हैं कि जो संत होता है वह हमेशा दूसरों के कल्याण के लिये अपने को समर्पित कर देता है। संतों के इसी सार्वभौमिक भाव को ध्यान में रखते हुए राजा दशरथ अपने पुत्रों को असुरों का विनाश करने के लिये मुनि विश्वामित्र के साथ बीहड़ जंगलों में भेज देते हैं। लीला में अहिल्या के उद्धार के बाद गंगावतरण का बड़ा ही अलौकिक वर्णन किया गया। जिसमें ऋषि भगीरथ की विराट तपस्या और उनके द्वारा जग कल्याण के लिये भगवान शिव से गंगा माँ को अपनी जटाओं से धरती पर उतारने का मनुहार शामिल रहा। इस दौरान लीला का समूचा पांडाल मां गंगा की जयकारों से गूंज उठा।


आदरणीय अजय भाई जी ने सभी उपस्थित भक्तों और गुरुकुल परमार्थ निकेतन के विद्यार्थियों के साथ मां गंगा की महिमा का बखान बेहद मार्मिक ढंग से किया। अजय भाई जी के अनुसार अपने देश में जन्म के दौरान नवजात शिशु पर गंगा जल छिड़क कर उसे शुद्ध मान लिया जाता है। और व्यक्ति के मरण के दौरान भी गंगा जल का छिड़काव भी मुक्ति का संकेत देता है। इस तरह माँ गंगा पूरी तरह हम मनुष्यों के लिये पावन हैं।तारने वाली हैं। इसी समय सभी ने जब कोई बात बिगड़ जाये तुम देना साथ मेरा ओ गंगे माँ के सुरों वाला गीत भी गाया।

लीला में गंगावतरण के बाद प्रभु राम और लक्ष्मण के राजा जनक की नगरी जनकपुरी में आगमन का मार्मिक वर्णन किया गया। लीला के आगे के क्रम में जनकपुरी में ही सीता स्वयंवर में भाग लेने अभिमान से भरे राजाओं की सभा में जाने से पहले विनम्रता से कूट कूट भरे प्रभु राम का माता सीता से पुष्पवाटिका में सामना होता है। मां सीता वहां पूजन के लिये आई थीं। कथा व्यास अजय भाई जी के अनुसार इस स्वर्णिम मिलन के दौरान भगवती सीता ने अपने अंतस में अपने आराध्य पति परमेश्वर प्रभु राम के उदात्त चरित्र का जी भर आकलन अवश्य कर किया था। साथ ही प्रभु राम से अपनी आंख मिलने के दौरान सीता को गहन आत्म संतोष का भाव अवश्य मिला होगा। माता सीता का राम को और प्रभु राम का मां सीता को अपलक निहारना अँखियाँ मिलने की अनोखी दास्तां की सुनहरी बानगी पेश कर रहा था। अजय भाई जी इस अँखियाँ मिलन को ध्यान में रखते हुए देश की सभी कुँवारी बहनों से अपनी कुल मर्यादा का पूरा संज्ञान रखने का आह्वान भी करते हैं। क्योंकि सीताजी  राम के मोहक़ व्यक्तित्व से आकर्षित जरूर होती हैं लेकिन वह पिता जनक द्वारा रचित स्वयंवर का ख्याल रखते हुए अपने इष्ट से पूजन के समय प्रभु राम जैसा ही पति मांगने की मंगलकामना भी करते रहती हैं।


दूसरे दिन की लीला के आरंभ से पहले कमल मॉडल सीनियर स्कूल मोहन गार्डन की स्टूडेंट श्रुति तपस्वी ने गंगा जल की महत्ता पर प्रकाश डाला। श्रुति के अनुसार ग्लेशियर से धरती पर आने से पहले माँ गंगा बहुत सी जड़ी बूटियों का स्पर्श पा जाती हैं। साथ ही गंगा जल में बहुत से जीवाणु मौजूद रहते हैं जो जल के अपशिस्ट तत्व को खत्म कर देते हैं। नतीज़न गंगा जल वर्षों तक स्वच्छ बना रहता है। आगे अब तीसरे दिन के लीला मंचन में सीता स्वयंवर, लछमण परशुराम संवाद, बारात आगमन और सीता जी की विदाई का मनोरम दृश्य पेश होगा।


साधना, साधना गोल्ड, संतवाणी और सर्व धर्म सङ्गम चैनलों में सीधा प्रसारण के दौरान परमार्थ निकेतन के आसपास और माँ गंगा के तीर का मनोरम दृश्य लीला को अलौकिक छटा प्रदान कर रहा है। जो सीधा प्रसारण देख रहे दर्शकों के लिये सोने पे सुहागा जैसा है।

बुधवार के दूसरे दिन के लीला मंचन में परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के स्वामी चिदानंद सरस्वती जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी, राम लीला समिति के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश टंडन, पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास के अध्यक्ष डॉ. राकेश मिश्र का विशेष योगदान रहा। लीला कथा स्वरूप हो रही है जिसमें कथा व्यास और राष्ट्र मंदिर विश्व रामायण आश्रम दिल्ली के श्री अजय भाई जी की भक्तिमय, मधुरमय वाणी,  लीला में  भक्ति की अविश्वसनीय और अविस्मरणीय मिश्री घोल रही है। उल्लेखनीय है कि इस अंतर्राष्ट्रीय वर्चुअल राम लीला महोत्सव के आयोजन में पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास सतना (मध्यप्रदेश) का अनुपम सहयोग शामिल है।

      

पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास द्वारा रामलीला महोत्सव ऋषिकेश को विश्व भर में फैले रामभक्तों तक रामलीला पंहुचाने का बीड़ा उठाया हुआ है।

इस अवसर पर भारत के सभी राज्यों के गणमान्य अतिथि तथा हालैंड,  न्यूजीलैंड, ब्राजील, इजराइल सहित विश्व के अनेक देशों के संस्कृति प्रेमी भी उपस्थित थे !


अंतर्राष्ट्रीय रामलीला महोत्सव आयोजन समिति के सचिव एडवोकेट विश्व मोहन शर्मा, संयुक्त सचिव श्री राजेश वर्मा एवं श्री मनोज अग्रवाल, कार्यकारिणी सदस्य श्री सुरेंद्र वशिष्ठ तथा सभी पदाधिकारियों ने संपूर्ण व्यवस्था को आदर्श और सुचारू बनाने में अथक परिश्रम किया।

आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ वेद प्रकाश टंडन ने बताया कि रामलीला के साथ-साथ सार्वजनिक महत्व के आवश्यक संदेश भी जन जन तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। दूसरे दिन प्रातः कमल मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल मोहन गार्डन के छात्रों ने अपनी प्रधानाचार्यो तथा सीबीएसई गवर्निंग बॉडी की सदस्य डॉ वंदना टंडन के नेतृत्व में गंगा की स्वच्छता के लिए एक जन जागरण रैली का आयोजन किया जिसमें पूज्य स्वामी चिदानंद जी महाराज, श्रद्धेय अजय भाई जी, डॉ. राकेश मिश्र सहित अंतर्राष्ट्रीय रामलीला महोत्सव में अपनी सहभागिता दर्ज कराने आए देश भर के गणमान्य अतिथियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। हाथों में स्लोगन बोर्ड और होठों पर 'मां गंगा की जय जयकार - प्लास्टिक गंदगी का न हो व्यवहार' जैसे अनेक नारे तथा नुक्कड़ नाटक के माध्यम से अपना संदेश देते ये छात्र क्षेत्र के विभिन्न मार्गों से निकले तो स्थानीय लोगों और संत समाज ने उनका स्वागत किया ।

दूसरे दिन की लीला में ऋषिकेश नगर पालिका के अध्यक्ष, आईआईटी रुड़की के वरिष्ठ प्रोफेसर,  दिव्यांगों को निशुल्क सामग्री उपलब्ध कराने वाले समाजसेवी, 12 देशों के प्रतिनिधियों तथा अपेक्षा से अधिक राम भक्त दर्शकों की उपस्थिति में वय में बाल लेकिन प्रतिभा में मजे हुए कलाकारों ने प्रस्तुतियाँ दी।


सब हेड

-डॉ. वंदना टंडन जी के नेतृत्व में कमल माडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल दिल्ली के बाल कलाकारों के भक्ति भाव से मंचन होता जा रहा दिनोंदिन और दिव्य एवं भव्य


-राष्ट्र हित के साथ जनकल्याण एवं  माँ गंगा के अवतरण से दूसरा दिन रहा आप्लावित



पॉइंटर

-प्रभु राम और भगवती सीता का पुष्प वटिका में एक दूजे के प्रति मन ही मन हुआ मनुहार






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