श्रीशांतिवीरशिवधर्माजीतवर्धमानसुरीभ्यो नमः॥ आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज के * 71 वे वर्ष वर्द्धन अवतरण दिवस भादव सुदी सप्तमी तथा जन्म दिनांक 18 सितम्बर पर जीवन परिचय*
सन 1950 से सन 2021
71 वे जन्मदिवस पर कोटिशः नमोस्तु
आओ शांति मार्ग पर चले...
20 वी सदी के प्रथमाचार्य चारित्र चक्रवती आचार्य श्री 108 शांति सागर जी महाराज की अक्षुण्ण पट्ट परम्परा में तृतीय पट्टाधीश आचार्य श्री 108 धर्म सागर जी से दीक्षित मूल बाल ब्रह्मचारी पट्ट परम्परा के पंचम पट्टाधिश राष्ट्र गौरव वात्सल्य वारिधि तपोनिधि आचार्य श्री 108 वर्धमान सागर जी महाराज को त्रिकाल नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु
भरत चक्रवती के नाम पर अवतरित भारत देश मे राज्य मध्यप्रदेश में कई भव्य आत्माओं ने अवतरित होकर श्रमण मार्ग अपनाया है ।
इसी राज्य के खरगौन जिले के सनावद नगर जो कि सिद्ध क्षेत्र श्री सिद्धवरकूट, श्री सिद्धक्षेत्र पावागिरी ऊन, श्री सिद्ध क्षेत्र चूलगिरी बावनगजा बड़वानी के निकट है।
इन सिद्ध क्षेत्रों से करोड़ो मुनि मोक्ष गए है।
ऐसी पवित्र नगरी सनावद में पर्युषण पर्व के तृतीय उत्तम आर्जव दिवस पर एक प्रतिभा शाली कुल परिवार नगर का मान बढ़ाने वाले यशस्वी बालक 👶🏻 यशवंत 👶🏻 का जन्म माता 🤱 श्रीमती मनोरमा देवी जैन 🤱की उज्जवल कोख से प्रसवित हुआ। आपके पिता 👨🏻 श्री कमल चंद जी जैन 👨🏻 उपजाति पोरवाड़ से है । 18 सितम्बर 1950 भाद्रपद शुक्ल सप्तमी संवत 2006 को अवतरित होनहार भाग्यशाली सौभाग्यशाली पुत्र के पूर्व 8 पुत्र 4 पुत्रियां असमय काल का ग्रास हुई ।
जब आपकी उम्र मात्र 12 वर्ष की थी तब आपकी माता जी का असामायिक निधन हुआ ।
🔅 आपने सन 1964 में श्री बावनगजा बड़वानी में आचार्य श्री विमल सागर जी महाराज और आचार्य श्री महावीर कीर्ति जी महाराज के दर्शन किये ।
🔅सन 1964 में तृतीय पट्टाधिश आचार्य श्री धर्म सागर जी महाराज के सनावद में मुनि अवस्था के दर्शन किये ।
🔅सन 1965 में आर्यिका श्री इंदुमती माताजी का सनावद चातुर्मास हुआ ।
🔅सन 1967 में आर्यिका श्री ज्ञानमति माताजी का सनावद चातुर्मास हुआ ।
🌱 व्रत नियम 🌱
🔅सन 1967 में श्री मुक्तागिर सिद्ध क्षेत्र में आर्यिका श्री ज्ञानमति माताजी से आजीवन शूद्र जल त्याग और 5 वर्ष का ब्रह्मचर्य व्रत लिया ।
🔅जनवरी 1968 बागीदौरा राजस्थान में आचार्य श्री विमल सागर जी महाराज से आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत अंगीकार किय ।
🔅ग्राम करावली में सर्व प्रथम आचार्य श्री शिव सागर जी के दर्शन किये । सनावद वासियो के साथ श्री गिरनार जी एवम बुंदेलखंड की तीर्थ यात्रा कर। बालक यशवंत वापस सनावद आ गए ।
🔅सन 1968 को श्री यशवंत पुनः ग्राम पालोदा में आचार्य श्री शिव सागर जी के दर्शन हेतु गए
गृह त्याग
मई 1968 से आप संध में शामिल हो गए । भीमपुर जिला डूंगरपुर में आपने द्वियतीय पट्टाधिश आचार्य श्री शिव सागर जी महाराज से गृह त्याग का नियम लिया ।
दीक्षा हेतु श्रीफल भेंट
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🔰 बाल ब्रह्मचारी श्री यशवंत जी ने मात्र 18 वर्ष की उम्र में फागुन कृष्णा चतुर्दशी संवत 2025 सन 1969 को श्री महावीर जी मे आचार्य श्री शिव सागर जी महाराज को मुनि दीक्षा हेतु श्रीफल चढ़ा कर निवेदन किया ।
🔰 गुरुदेव के आदेश से अगले दिन श्री सम्मेदशिखर जी की यात्रा पर गए।
🔰 आचार्य श्री शिव सागर जी महाराज की अनायास समाधि फागुन कृष्णा 30 संवत 2025 को श्री महावीर जी मे होने के कारण पुनः नूतन आचार्य तृतीय पट्टाधिश आचार्य श्री धर्म सागर जी महाराज को दीक्षा हेतु श्रीफल भेंट किया ।
📿 मुनि दीक्षा 📿
🌹 तृतीय पट्टाधिश नूतन आचार्य श्री धर्म सागर जी महाराज ने श्री महावीर जी मे फागुन शुक्ला 8 संवत 2025 24 फरवरी 1969 को 6 मुनि 3 आर्यिका तथा 2 क्षुल्लक कुल 11 दीक्षाएं आपके सहित दी ।
🌹 अब ब्रह्मचारी श्री यशवन्त मुनि दीक्षा धारण कर मुनि श्री 108 वर्धमान सागर जी महाराज बन गए ।
🔥 उपसर्ग 🔥
👀 नेत्र ज्योति जाना 👀
⚫ श्री महावीर जी से आचार्य श्री धर्म सागर जी महाराज का विहार जयपुर खानिया जी हुआ
ज्येष्ठ शुक्ला 5 पंचमी संवत 2025 सन 1969 को अनायास नव दीक्षित मुनि श्री वर्धमान सागर जी महाराज की नेत्रों की रोशनी चली जाती है उस समय उम्र मात्र 19 वर्ष की उसी समय डॉक्टर बुलाये गए अगले दिन डॉक्टरों ने नेत्रों का परीक्षण किया।
⚫ डॉक्टरों ने परामर्श दिया कि बिना इंजेक्शन लगाए नेत्र ज्योति आना नामुमकिन है ।
⚫ संघ में विचार विमर्श होने लगा कि मात्र 19 वर्ष की उम्र में इतना उपसर्ग क्या किया जावे
दीक्षा छेद कर डॉक्टरी इलाज कराने की भी चर्चा चली ।
👂🏼 मुनि श्री वर्धमान सागर जी महाराज के कानों में चर्चा पहुँचने पर उनहोंने कहा कि में इंजेक्शन नही लगवायेगे प्रसंग आने पर समाधि ले लेंगे ।
✨ मुनि श्री वर्धमान सागर जी महाराज ने 1008 श्री चंद्र प्रभु की वेदी पर मस्तक रख कर पूज्य पाद रचित श्री शांति भक्ति का पाठ स्तुति प्रारम्भ की ।
✨ लगातार 3 दिन अर्थात 72 घण्टे बाद प्रभु भक्ति के प्रभाव से बिना डॉक्टरी इलाज के 👀 नेत्र ज्योति वापस 👀 आ जाती है ।
🔅उस घटना के समय आचार्य श्री धर्म सागर जी सहित 17 मुनि 25 आर्यिकाये 4 क्षुल्लक एवम 1 क्षुल्लिका सहित 47 साधु विराजित थे।
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परमपूज्य आचार्य श्री पूज्यपाद स्वामी जी आकाश गमनी विद्या से आकाश में गमन कर रहे थे सूर्य की प्रचंड तेज रोशनी से आचार्य श्री की नेत्र ज्योति जाने पर श्री पूज्य पाद स्वामी ने श्री शांति भक्ति की रचना कर नेत्र ज्योति वापस पाई थी ।
उसी पवित्र शांति भक्ति के पाठ से परम पूज्य मुनि श्री वर्धमान सागर जी महाराज की नेत्र ज्योति
वापस आई ।
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इन पवित्र नेत्रों से जब गुरुदेव का वात्सल्य मयी 🙌आशीर्वाद 🙌 मिलता है तो भक्तों का मानव जीवन सफल हो जाता है।
⛈ चातुर्मास ⛈
वर्ष 1969 से 1989 तक मुनि अवस्था मे 21 चातुर्मास विभिन्न नगर, राजधानी अतिशय क्षेत्रो पर किया ।
🎖 आचार्य पद 🎖
👑 चारित्र चक्रवती प्रथमचार्य श्री 108 शांति सागर जी महाराज 👑 की अक्षुण्ण पट्टपरम्परा के 💎 चतुर्थ पट्टाचार्य श्री 108 अजित सागर जी महाराज 💎 के ✍ पत्र के माध्यम से लिखित आदेश✉ अनुसार पारसोला राजस्थान में 24 जून 1990 आषाढ़ सुदी दूज को 🎖 आचार्य पद🎖 गुरु आदेश अनुसार दिया गया।
आचार्य पद के बाद वर्ष 1990 से वर्ष 2021 तक विभिन्न तीर्थ क्षेत्रो अतिशय क्षेत्रो प्रदेश राजधानियों महानगरों सिद्ध क्षेत्रो निर्वाण भूमियों आदि में किये
वर्ष 2021 का चातुर्मास 🎪 कोथली कर्नाटक 🎪 में हो रहा है है।
📿 दीक्षाएं 📿
आचार्य श्री वर्धमान सागर जी गुरुदेव ने अभी तक 8 9 दीक्षाये दी है ।
मुनि दीक्षा 32
आर्यिकाये दीक्षा 32
ऐलक दीक्षा 01
क्षुल्लक दीक्षा 14
क्षुल्लिका दीक्षा 10
कुल 89
आचार्य पदारोहण पुण्यार्जक नगर/क्षेत्र
1991 गिंगला
1992 तलोद
1993 होसदुर्ग
1994 श्रवण वेलगोला
1995 सांगली
1996 उदयपुर
1997 सलूंबर
1998 भीलवाड़ा
1999 लूणवा नागौर
2000 निवाई
2001 धरियावद
2002 उदयपुर
2003 भींडर
2004 पारसोला
2005 श्रवण वेलगोला
2006 तिरूमले
2007 श्रवण बेलगोला
2008 सम्मेद शिखर जी
2009 चंम्पापुर
2010 कोलकत्ता
2011 सम्मेद शिखर जी
2012 आहार जी m p
2013 कुंडलपुर
2014 किशनगढ़
2015 निवाई
2016 सिद्धवरकूट
2017 श्रवण बेलगोला
2018 श्रवण वेलगोला
2019 कोथली कर्नाटक
2020 बेलगांव
2021 कोथली कर्नाटक
परम्परा के पंचम पट्टाधिश वात्सल्य वारिधि 108
आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी ने 12 राज्यों राजस्थान दिल्ली हरियाणा उत्तर प्रदेश गुजरात कर्नाटक तमिलनाडु झारखंड बिहार बंगाल एवम मध्यप्रदेश में किये है
सिद्ध क्षेत्रों
श्री तारंगा जी 1
श्री सम्मेद शिखर जी 2
श्री चंम्पापुर 1
श्री कुंडलपुर 1
श्री सिद्धवरकूट 1
अतिशय क्षेत्र
श्री पदमपुरा 1
श्री लूणवा नागौर। 1
श्री अणिनदा पार्श्वनाथ 1
श्री श्रवण बेलगोला। 6
श्री कुम्भोज बाहुबली। 1
श्री पपौरा जी 1
तपोभूमि
आचार्य श्री कुंद कुंद स्वामी की तपोभूमि पोन्नूर मले 1
महानगर
दिल्ली 2
कोलकत्ता 1
चातुर्मास सूची
01 1969 जयपुर
02 1979 टोंक
03 1971 अजमेर
04 1872 पहाड़ी धीरज
05 1973 नजफगढ़
06 1974 दिल्ली
07 1975 सरधना
08 1976 मेरठ
09 1977 किशनगढ़
10 1878 आनंदपुर कालू
11 1979 निवाई
12 1980 पदमपुरा
13 1981 भीलवाड़ा
14 1982 लोहारिया
15 1983 प्रतापगढ़
16 1984 अजमेर
17 1985 लूणवा नागौर
18 1986 सुजानगढ़
19 1987 किशनगढ़
20 1988 भींडर
21 1989 लोहारिया
22 24 जून 1990 आचार्य पद पारसोला
23 1991अणिदा पारस नाथ
24 1992 तारंगा जी
25 1993 श्रवण बेलगोला
26 1994 श्रवण बेलगोला
27 1995 कुम्भोज बाहुबली
27 1996 गिंगला
29 1997 पारसोला
30 1998 किशनगढ़
31 1999 जयपुर
32 2000 टौडा रायसिह
33 2001 धरियावद
34 2002 उदयपुर
35 2003 भींडर
36 2004 सलूम्बर
37 2005 श्रवण बेलगोला
38 2006 पौन्नूर मले
38 2007 श्रवण बेलगोला
49 2008श्री शिखर जी
41 2009 चम्पापुर जी
4 2 2010 कोलकत्ता
43 2011 श्री शिखर जी
44 2012 पपौरा जी
45 2013 कुंडलपुर
46 2014 किशनगढ़
46 2015 निवाई
48 2016 सिद्धवरकूट
49 2017 श्रवण बेलगोला
59 2018 श्रवण बेलगोला
51 2019 श्री यरनाल
52 2020 बेलगांव
53 2021 कोथली
अधिकांश चातुर्मास स्थली किसी आचार्यो की मुनियों की भूमि भी है
2021 का चातुर्मास कोथली में हो रहा है है
राजेश पंचोलिया सनावद इंदौर
9926065065
वात्सलय वारिधि परिवार
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