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भारतीय संस्कृति संवाहक आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज आचार्यश्री की प्रेरणा से जेलों में संचालित हथकरघा से बदल रहा है कैदियों का जीवन नई शिक्षा नीति को आचार्यश्री ने दी है नई दिशा

  बकस्वाहा। आचार्य श्री विद्यासागर युवा मंच बुंदेलखंड के तत्त्वावधान में आचार्य श्री विद्यासागर  जी महाराज के 54 वे दीक्षा दिवस के  प्रसङ्ग पर   आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का अवदान विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित की गई।

वर्चुअल आयोजित इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने आचार्यश्री को भारतीय संस्कृति संवाहक बताया।

प्रारंभ में मंगलाचरण डॉ. मानसी जैन हटा  ने किया इसके बाद आचार्यश्री के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन वरिष्ठ समाजसेवी सुनील घुवारा उपाध्यक्ष श्री दिगंबर जैन सिद्धक्षेत्र द्रोणगिरि ने सपरिवार किया। स्वागत भाषण डॉ. प्रगति जैन इंदौर ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ.ममता जैन पुणे ने किया। कार्यक्रम के संयोजक मनीष विद्यार्थी शाहगढ़, मुख्य संयोजक आचार्य विद्यासागर युवा मंच बुंदेलखंड व पंकज जैन छतरपुर बीजेएस के प्रांतीय संयुक्त सचिव (पूर्व) रहे। मुख्य अतिथि सुरेश जैन आईएएस भोपाल, न्यायमूर्ति श्रीमती विमला जैन सेवानिवृत्त न्यायाधीश व प्राचीश जैन, सहायक संचालक लोक शिक्षण संचालनालय सागर संभाग रहे।

सारस्वत अतिथि ब्र. जयकुमार निशांत भैया , निर्देशक प्रागैतिहासिक तीर्थक्षेत्र नवागढ़ ने कहा कि 

ठंड, बरसात और गर्मी से विचलित हुए बिना आचार्यश्री ने कठिन तप किया। उनका त्याग और तपोबल आज किसी से छिपा नहीं है। इसी तपोबल के कारण सारी दुनिया उनके आगे नतमस्तक है। 53 वर्ष से वे एक महान साधक की भूमिका में हैं। उनके बताए गए रास्ते पर चलकर हम देश तथा संपूर्ण मानव जाति की भलाई कर सकते हैं।

अध्यक्षता करते हुए डॉ. विमल कुमार जैन

जबलपुर,प्रांतीय अध्यक्ष भारतीय जैन संघटना मध्यप्रदेश (पूर्व) ने कहा कि असाधारण व्यक्तित्व, कोमल, मधुर और ओजस्वी वाणी व प्रबल आध्यात्मिक शक्ति के कारण सभी वर्ग के लोग आचार्य श्री विद्यासागर जी की ओर आकर्षित  हैं ,वे सही मायने में राष्ट्रसंत हैं।धर्म की वैज्ञानिक, सहज, सरल व्याख्या आचार्यश्री ने उपलब्ध कराई है। साधना के सांचे में उन्होंने खुद को ढाला। उनकी प्रेरणा से संचालित स्वालम्बी योजना से हजारों कैदियों के जीवन की दिशा ही बदल गयी है ।

आचार्य विद्यासागर युवा मंच बुंदेलखंड के निर्देशक डॉ. सुनील संचय ललितपुर ने कहा कि आचार्यश्री  जन-जन की आस्था के केंद्र हैं। इनकी प्रेरणा से हजारों गौवंश की रक्षार्थ दयोदय गौशालाएं संचालित हो रही हैं,हिंदी भाषा अभियान,इंडिया हटाओ भारत लाओ अभियान, हथकरघा स्वावलंबन रोजगार,स्वदेशी शिक्षा,संस्कृत हिंदी ,अंग्रेजी का बेजोड़ साहित्य,हाइकू आदि उनकी श्रेष्ठतम साधना उन्हें संत शिरोमणि कहलाने के लिए काफी है।साधना के सुमेरु आचार्यश्री आज  भारतीय सांस्कृतिक जीवन मूल्यों के पतन को देखते हुए संरक्षणात्मक संवाद का बिगुल बजा रहे हैं, यही कारण है कि आप जनमानस के बीच भारतीय संस्कृति के पुरोधा महापुरुष के रूप में आदरणीय बन गए हैं।

अंतर्राष्ट्रीय विदुषी डॉ. नीलम जैन पुणे  ने कहा कि आचार्यश्री की कालजयी  रचना मूकमाटी उत्कृष्ट काव्य कृति है। इस कृति पर 22 से अधिक पीएचडी हो चुकी हैं। उन्होंने पूरी मानवता के लिए कार्य किए हैं। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ समाजसेवी व बीजेएस के सागर सम्भाग अध्यक्ष राजेश रागी  बकस्वाहा ने कहा कि आचार्यश्री आज रग-रग, मन-मन में वसे हैं। वे श्रमण संस्कृति की ध्वजा को लहरा रहे हैं। उन्होंने नैनागिरि, द्रोणगिरि, कुण्डलपुर से जुड़े आचार्यश्री के प्रेरक संस्मरण भी साझा किए।

वरिष्ठ लेखक राजेंद्र जैन महावीर सनावद ने कहा कि नई शिक्षा नीति में आचार्यश्री के मार्गदर्शन को शामिल किया है। उन्होंने नई शिक्षा नीति को दिशा दी है। आचार्यश्री की प्रेरणा से जेलों में संचालित हथकरघा से कैदियों का जीवन बदल रहा है। उनकी रचना का अंश मध्य प्रदेश के पाठ्यक्रम में भी शामिल है।

प्रो. पीके जैन   छतरपुर ने कहा कि हिंदी भाषा अभियान एवं इंडिया नहीं भारत बोलो के उनके अभियान भारतीय संस्कृति को समुन्नत बनाते हैं।आचार्यश्री रत्नों के रत्नाकर हैं ।

कार्यक्रम संयोजक सुनील जैन शिक्षक ,सचिव बीजेएस सागर ने आभार व्यक्त किया।

इंजी. अशोक पालंदी जबलपुर  राकेश जैन पालंदी दमोह, श्रीमती मीना जैन टीकमगढ़, श्रीमती अर्चना जैन पम्मी बरायठा, श्रीमती मीना जैन, सुनील शास्त्री सोजना आदि ने अपनी विनयांजलि समर्पित की।


सादर प्रकाशनार्थ समाचार


🙏राजेश रागी/रत्नेश रागी पत्रकार बकस्वाहा


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