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चरण नही आचरण पूजो : जनसंत उपाध्याय श्री वीरंजन सागर जी मुनिराज

 छतरपुर:- परम पूज्य गणाचार्य श्री विराग सागर जी महाराज के परम शिष्य जनसंत उपाध्याय श्री वीरंजन  सागर जी महाराज ससंघ सहित जय जय अतिशय क्षेत्र डेरा पहाड़ी पर विराजमान है।

                     जैन समाज के सहमंत्री अजित जैन ने बताया कि जनसंत उपाध्याय विरंजन सागर जी मुनिराज ने डेरा पहाड़ी जैन मंदिर में प्रवचन में कहा कि जीवन मे संतो की संगति ,संतो का त्याग तप ही संसार मे उच्च है संतो के आचरण पकड़ना चाहिए चरण की पूजा नहीं आचरण की पूजा होती है आचरण श्रेष्ठ व्यक्ति को महान बना देता है आज हर व्यक्ति आचरण विहीन होता जा रहा है पाश्चात संस्कृति की ओर बढ़ रहा है मानव हमारे जीवन पूर्व की संस्कृति में मानव का रहन सहन होनी चाइये । देखने आता है कि परिवार में आदर सम्मान समाप्त होता गया यही कारण है कि बच्चों आचरण विहीन हो गये ।पर समाज संत का मार्गदर्शन,संगति हमारे जीवन मे उच्च आचरण देता है जब हमारे जीवन मे शुभ  विचार लाने के लिये जरूरी यह है कि जो मार्ग दर्शन की जो सही दिशाए दिखाए वह ही संत दिगम्बर विचार परिवर्तित करते है संत बही है जो स्वार्थ से रहित हो  राग देश से रहित उपकार के धनी है जीवन मे मानवता संतो की संगति में बैठकर अपने आप को महान बना देते हैं जैसी संगति होती है वैसे हमारी संस्कार होते हैं । प्रवचन सुनने  सैकड़ों की संख्या में महिला पुरुष बच्चे उपस्थित रहे  । ओर मुनिराज ने कहा कि  आगामी 16/04/ 2023 को दिन रविवार को  विशाल श्रावक धर्म ( पति- पत्नी ) संस्कार शिविर  का आयोजन होने जा रहा है । जो जय जय अतिशय क्षेत्र डेरा पहाड़ी में सुबह 8:15 बजे से प्रारम्भ हो जायेगा । शिविर में केवल पति पत्नी की जोड़ी के साथ ही बैठ सकते हैं जिसके संस्कार  मंत्रो द्वारा होंगे ।  तो आप सभी से निवेदन है कि आप सभी लोग अधिक से अधिक संख्या में अपनी अपनी जोड़ी के साथ शामिल हो । सभी कार्यक्रम जनसंत उपाध्याय विरंजन सागर जी मुनिराज ससंघ सानिध्य में होंगे ।






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