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श्री मतँगेश्वर सेवा समिति खजुराहो, दद्दा जी कल्चर सेंटर खजुराहो, ( फ्रांस एवं इटली )ब्रह्म कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, माउन्ट आबू,

 बुदेलखंड के शिव भक्तों द्वारा नई दिल्ली के उत्तम नगर में त्रिमूर्ति महा शिवरात्रि उत्सव एवं भव्य आध्यत्मिक मेला में 18 ज्योतिलिंगो के ज्ञान गुणों की माला द्वारा शिव परमात्मा के कर्त्तव्य पर आधारित बौद्धिक सम्मलेन में उपस्थिति दर्ज कराई इन 18 ज्योति लिंगो जिनमे

1- सोमनाथ, 2 - जागेश्वर, 3 - महाकाल, 4 - ओंकारेश्वर, 5 - त्रंबकेश्वर, 6 - मल्लिकार्जुन, 7 - बेधनाथ, 8 - विश्वनाथ, 9 - नागेश्वर, 10 - केदारनाथ, 11 - बद्रीनाथ, 12 - घृहशनेश्वर, 13 - रामेश्वर, 14  - भीमाशंकर, 15 - अमरनाथ, 16 -  पशुपतिनाथ, 17 - बबूलनाथ, 18 - श्री श्री 1008 मतँगेश्वर महाराज इन सभी 18 ज्योति लिंग की वर्णमाला को देश विदेश से पधारे विद्वानों द्वारा वेद पुराणों के आधार पर उनके कर्तव्यों का वर्णन किया | बुंदेलखंड के विश्व प्रसिद्ध मंदिरों के विद पंडित सुधीर शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि, मुख्य 18 ज्योतिलिंग परमात्मा के कर्तव्यों को दर्शाते है जिसका वर्णन श्रीमदभागवत गीता में भी 18 अध्याय के रूप में 'भगवानुवाच' कह कर किया गया है | इन सभी कर्त्तव्यों के आधार पर ही द्वापर युग से भक्ति में भक्तजन इन शिवलिंगों कि स्थापना कर श्रद्धा भाव से गायन पूजन करते आ रहे हैं | उन्होंने भगवान मतँगेश्वर के कर्तव्यों का वर्णन करते हुए कह कि मनमत, शास्त्रमत, वेदमत, परमत अनेक प्रकार के मत - मतानंतर को समाप्त करके परमात्मा मत, श्रीमत द्वारा एक मत, एक राज्य, एक धर्म कि स्थापना करते है मतँगेश्वर | भारत को एक बार पुनः विश्व गुरु बनाने के लिए यह आध्यत्मिक मेला शुभ यात्रा का प्रतीक है अब समय आ गया है कि, सभी को मिलकर कलयुग का समापन यज्ञ कर सतयुग के स्वागत एवं अभिनन्दन के लिए आध्यत्मिक चेतना को जागृत कर प्रकृति पूजन कि तैयारी में जुट जाएं | फ्रांस के NRI इंजीनियर सुरेन्द्र गुप्ता ने कहा खजुराहो में विश्व का एक मात्र श्री मतँगेश्वर मंदिर सभी मन्नतों को पूरा करता है  जिनकी कृपा से यहाँ प्रतापेश्वर मंदिर का निर्माण विश्व शांति तथा वासुदेव कुटुंबकम का प्रतीक है | यहाँ एक ईश्वर एक विश्व एक परिवार और एक मत कि भावना शिव शक्ति के रूप में परमात्म प्रत्यक्षता है इस कार्यक्रम के आयोजन में प्रमुख भूमिका बी के विमला दीदी ओम विहार नई दिल्ली, पुष्पलता दीदी माउन्टआबु, कैप्टन  सूर्य प्रकाश राव तिरुपति, भाई हितेश, लवली सिस्टर, बहिन रचना अरोरा औरंगाबाद, एवं सम्पूर्ण भारत वर्ष के स्वयं सेवकों की रही |





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