प्रिंट पत्रकारिता के समक्ष वर्तमान चुनौतियां और उनका समाधान
प्रिंट पत्रकारिता के समक्ष वर्तमान चुनौतियां और उनका समाधान
*लेखक संतोष गंगेले कर्मयोगी*
राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकार , मध्य प्रदेश शासन भोपाल
प्रांतीय संस्थापक अध्यक्ष , गणेश शंकर विधार्थी प्रेस क्लब
छरतपुर -
भारत के इतिहास में सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए कबूतर पक्षी का उपयोग किए जाने का प्रमाण मिलता है जैसे-जैसे मानव सभ्यता विकास की ओर बढ़ी आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है इसी सिद्धांत को लेकर के 1774 में भारत में छापा मशीनें अंग्रेजी शासन में सरकारी कामकाज की सामग्री छापने एवं ईसाई मिशनरी साहित्य सामग्री छापने के लिए का उपयोग करती थी किसी समय एक व्यक्ति के मन में समाचारों को लिखित में जन जन तक पहुंचाने के लिए उसने प्रिंट मीडिया में प्रचार प्रसार के लिए पंपलेट जैसे समाचार पत्र का प्रकाशन किया क्षेत्र की खबरें और समस्याओं के समाधान के लिए पंपलेट में समाचार छाप कर आसपास मोहल्ले चौराहों पर उसका प्रचार प्रसार करता रहा भारत में वर्ष 1819 में भारतीय भाषा में पहला समाचार संवाद कौमुदी जिसे बुद्धि का चांद कहा जाता था प्रकाशन शुरू किया गया अंग्रेजों के नजर में यह पेपर समाचार पत्र आ जाने के कारण इस पर कई प्रतिबंध लगाए गए 3 वर्ष बाद 1822 में गुजराती भाषा में सप्ताहिक मुंबई ना समाचार का प्रकाशन हुआ बस 1826 में उदंत मार्तंड हिंदी भाषा में राजा राममोहन राय द्वारा प्रकाशित किया गया कुछ ही समय बाद समाचार पत्र का प्रकाशन अंग्रेजी शासन ने बंद करा दिया वर्ष 1930 में बंगदूत एवं 1933 में भारत के अंदर क्षेत्रीय भाषाओं में 22:00 समाचार पत्र दैनिक एवं सप्ताहिक प्रकाशित शुरू हुए भारत की आजादी में गणेश शंकर विद्यार्थी जी ने अपना समाचार पर प्रताप का प्रकाशन किया कई बार उनको जेल भी जाना पड़ा और 25 मार्च 1931 को उनकी दंगे के दौरान हत्या हो जाने के कारण यह पेपर बंद हो गया बनारस अखबार के प्रकाशक मुद्रक राजा शिवप्रसाद एवं भारतेंदु हरिश्चंद्र का समाचार पत्र कवि वचन सुधा प्रकाशन होता रहा 18 से 54 में स्वभाव 62 पर्पस का प्रकाशन हुआ।
भारत के इतिहास में प्रिंट पत्रकारिता अपना एक इतिहास रहा और देश की आजादी में समाचार पत्रों ने अहम भूमिका निर्वहन की इसमें
भारतेंदु हरिश्चंद्र जन का पेपर कवि वचन सुधा हरिश्चंद्र मैगजीन रही प्रताप नारायण मिश्रा ब्राह्मण एवं हिंदुस्तान मदन मोहन मालवीय हिंदुस्तान अभ्युदय महारथी सनातन धर्म विश्व बंधु लीडर हिंदुस्तान टाइम्स पंडित महावीर प्रसाद द्विवेदी सरस्वती बालमुकुंद गुप्ता मथुरा अखबार सहित अनेक पत्र-पत्रिकाओं में लेखन का कार्य किया श्यामसुंदर दास नागरी प्रचारिणी सरस्वती प्रेमचंद माधुरी हंस जागरण बाबूराव विष्णु पराड़कर हिंदी बंगवासी हित वार्ता भारत मित्र आज शिव प्रसाद गुप्ता आज टुडे चंद्रधर शर्मा गुलेरी जनवेद समालोचक नागरी प्रचारिणी बाबू गुलाबराव संदेश डॉक्टर सत्येंद्र उद्धारक आर्यमित्र साधना बृजवासी साहित्य संदेश भारतीय साहित्य विद्यापीठ आगरा का त्यौहार का भी काम किया है
पंडित माखनलाल चतुर्वेदी बनारसी दास चतुर्वेदी महावीर प्रसाद द्विवेदी
अनेक पत्रकारों ने समाचार पत्र पत्रिकाओं और प्रचार-प्रसार के माध्यम से देश को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण होगा ताकि भारत देश के अंदर आजादी की अलख जगाने में पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका पाई जाती है।
स्वाधीनता संग्राम के बाद जो प्रमुख पत्रकारों ने भूमिका निभाई है उनमें श्री सच्चिदानंद हीरानंद, बिजली प्रतीक बाग ठाट दिनमान नवभारत टाइम्स श्री अरविंद कुमार सरिता टाइम्स आफ इंडिया माधुरी स्वच्छता किशीचंद अग्रवाल विश्वमित्र बालेश्वर प्रसाद अग्रवाल प्रवर्तक हिंदुस्तान समाचार डोरी लाल अग्रवाल उजाला अमर उजाला दिशा भारती राजेंद्र अवस्थी सरिका नंदन कादंबिनी सप्ताहिक हिंदुस्तान महावीर अधिकारी विचार सताए हिंदुस्तान नवभारत टाइम्स करंट कमलेश्वर प्रसाद सक्सेना कमलेश्वर कामरेड सारिका गंगा दैनिक जागरण कपूरचंद कुशल धर्मवीर गांधी पूर्ण चंद्र गुप्ता दैनिक जागरण मन्मथ नाथ गुप्ता सत्येंद्र गुप्ता जगदीश चतुर्वेदी प्रेम नाथ चतुर्वेदी बनारसीदास चतुर्वेदी युगल किशोर चतुर्वेदी कप्तान दुर्गा प्रसाद चौधरी अभय छजलानी 6 कुमार जैन आनंद जैन यशपाल जैन मनोहर श्याम जोशी रतन लाल जोशी शीला झुनझुनवाला विश्व नारायण सिंह ठाकुर रामचंद्र तिवारी कन्हैयालाल नंदन कुमार नरेंद्र नरेंद्र मोहन गुप्ता नारायण दत्त सहित 200 से अधिक समाचार पत्रों के प्रमुख संपादक कौन है भारत में पत्रकारिता की अलख जगाई ।
प्रिंट मीडिया पत्रकारिता में जिस प्रकार का दौर आजादी के बाद भारत देश में शुरू हुआ उसका पतन वर्ष 1980 से धीरे-धीरे शुरू हुआ क्योंकि इस समय प्रिंट मीडिया में रंगीन मशीनें कलर पेपर और मैगजीन जनमानस के लिए परोसे जाने लगी प्रतिस्पर्धा की दौड़ में प्रिंट पत्रकारिता का स्तर गिरने लगा अत्याधिक लागत लगने के बाद लाभ ना होने के कारण प्रिंट मीडिया पत्रकारिता का स्तर गिरा उद्योगपतियों ने राजनीति में सक्रिय भाग लेना शुरू किया और अपने अपने संस्थान से समाचार पत्रों का प्रकाशन किया जिससे कि मध्यमवर्ग द्वारा प्रकाशित समाचार पत्र पब्लिकेशन बंद होते गए।
प्रिंट पत्रकारिता के लिए अधिक लागत आमदनी कम इस वजह से बहुत से छोटे-मोटे समाचार पत्र प्रकाशन और प्रकाशित होना बंद हो गए लेकिन भारत की पत्रकारिता में एक तूफान की तरह उफान आया और वर्ष 2000 प्रिंट पत्रकारिता का अपना के स्थान रहा जैसे ही इंटरनेट गूगल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मिलना शुरू हुए लोगों को प्रिंट मीडिया का स्तर गिरना शुरू हुआ।
वर्तमान समय में प्रिंट पत्रकारिता का स्तर बहुत नीचे आ गया है क्योंकि इंटरनेट और गूगल के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक सोशल मीडिया का उदय हुआ लगभग 25 वर्षों के अंदर प्रिंट पत्रकारिता का स्तर धीरे धीरे कम हो गया जहां लाखों में अखबार प्रिंट होते थे और लोग पत्रकार समाचार पत्र का इंतजार करते थे आज वर्तमान में पत्रकारिता सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चल रहा है पल-पल की खबरें पल् झपकते ही मिलने लगी हैं सबसे अच्छा सोशल मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में फेसबुक व्हाट्सएप इंस्टाग्राम इंटरनेट चैनल गूगल यूट्यूब चैनल तथा टीवी चैनल में पल-पल की खबरें में लगी है । निष्पक्ष और इमानदार पत्रकारिता का भी पतन हुआ है क्योंकि बाजार में व्यवसाय पत्रकारिता हो जाने के कारण अधिकांश समाचार पत्रों ने अपनी कुछ शर्तों के साथ समाचार पत्र की एजेंसी और पत्रकारों को कार्ड बनाने की शर्तें रखी जिससे पत्रकारिता में पतन का कारण बना । प्रिंट पत्रकारिता की विश्वसनीयता संदेह के घेरे में होने के कारण राजनेताओं द्वारा अपने हित में नगद भुगतान कर खबरें प्रकाशित कराने के कारण पत्रकारिता की विश्वसनीयता कम हुई ।
वैज्ञानिक टेक्नोलॉजी तथा भौतिकवादी युग में मोबाइल के माध्यम से वीडियो कॉलिंग वॉइस मेल ईमेल जैसी सुविधाएं व्यक्ति के हाथों में हो जाने के कारण मोबाइल के माध्यम से सारी चीजें इंटरनेट की सुविधा से कहीं भी देखी जा सकती हैं ।
प्रिंट पत्रकारिता के माध्यम से हम एक अखबार में पूरे देश की खबरें अध्यक्ष रूप से पढ़ते थे और समाज में सोचने का समय रहता था तथा प्रत्येक समाचार को संग्रह कर स्थान देने का भी अपना एक महत्व था प्रिंट पत्रकारिता मैं लागत धनराशि अत्यधिक खर्च होती है क्योंकि पेपर का प्रकाशन या किसी सहित पुस्तिका के प्रकाशन के लिए बहुत कुछ सामग्री संग्रह करने होती थी धन खर्च होता था लेकिन वर्तमान में बुद्धिजीवी शिक्षित और अधिकारी कर्मचारी व्यस्तता के कारण सुबह मॉर्निंग समय चाय पीते वक्त या स्वल्पाहार करते समय अल्प समय में समाचार पत्र की हेडिंग देखकर अपने काम की ओर निकल जाता है जब भी उसे समय मिलता है मोबाइल के माध्यम से जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है उनके माध्यम से खबरों का आदान-प्रदान विचारों का आदान-प्रदान तथा अपने लेनदेन सारा व्यवसाय मोबाइल पर निर्भर हो चुका है वर्तमान समय में प्रिंट पत्रकारिता के सामने अत्याधिक कठिनाइयां इस प्रकार से है कि प्रिंट पत्रकारिता के लिए हमें प्रिंटिंग अच्छी क्वालिटी की मशीनें अच्छे क्वालिटी का बैनर पोस्टर रंगीन समाचार पत्र बनाने के लिए अनुभव वाले कंप्यूटर चालक की आवश्यकता होती है समाचार संग्रह करना समाचारों की भाषा शैली और उसके शब्दों का चयन करना समाचारों के लिए प्रूफ रीडिंग अति आवश्यक होती है 1 शब्द से अर्थ का अनर्थ हो जाता है इसलिए बड़ी गंभीरता और चिंतन के साथ समाचारों का इलेक्शन का समाचार बनाना होता है।
नई तकनीकी मशीनों के द्वारा पेपर छापने के बाद पेपर को लपेटने का काम भी मशीनें करने लगी है लेकिन समाचार पत्र की गिनती करके एजेंट एजेंसी का नाम लिखना, प्रिंट पत्रकारिता के सामने समाचार पत्र के बंडल बांधने के साथ एजेंट का नाम लिखकर विभिन्न क्षेत्रों स्थानों पर भेजने का काम जिसमें व्यक्ति को समय दोनों बर्बाद होते हैं इसलिए प्रिंट पत्रकारिता का स्तर बहुत घट गया है।
प्रिंट पत्रकारिता के समाधान के लिए भारत सरकार और प्रदेश सरकार है जनसंपर्क कार्यालय के माध्यम से प्रिंट पत्रकारों को महत्व देता है उन्हें बैंकों से ऋण दिलाने के लिए सरकारें सामने आ रही है । प्रिंट पत्रकारिता को इस वर्तमान युग में सक्रिय करने के लिए भारत सरकार और प्रदेश सरकारों से पत्रकारों की सुरक्षा उनके सुंदरीकरण अच्छे उत्तम क्वालिटी के पेपर छापने के लिए अच्छी क्वालिटी की मशीनें तथा अनुभव वाले व्यक्तियों की आवश्यकता है जो उनको संचालित कर सके तथा कंप्यूटर के माध्यम से डिजाइन कर सके साथी प्रिंट पत्रकारिता के क्षेत्र में समाचार पत्र-पत्रिकाओं सकता है समाचार पत्रों में खोज खबरों को स्थान मिलना चाहिए साथी भारत के प्रिंट पत्रकारिता से जुड़े लोगों को विभिन्न समाचार भेजने के लिए बालों की आवश्यकता होती है इसलिए वह दो पहिया चार पहिया वाहनों तथा रेल और हवाई जहाज यात्रा के माध्यम से भी कम समय में अपनी समाचार पत्र पत्रिका सप्ताहिक समाचार पत्रों को शासन द्वारा विज्ञापन देने की नीति ध्यान करने के कारण तथा समय पर जनमानस के बीच समाचार पत्र ना पहुंचने के कारण प्रिंट पत्रकारिता को अधिक नुकसान हुआ है वर्तमान में इंटरनेट गूगल के माध्यम से लाखों यूट्यूब चैनल लाइव चैनल लाइव फेसबुक और वीडियो कॉलिंग के माध्यम से जनमानस को खबरें मिलने के कारण प्रिंट मीडिया पत्रकारिता का अत्यधिक नुकसान और घाटा हुआ फिर भी देश में एक लाख से अधिक समाचार पत्रों के प्रकाशन होने की समाचार पत्र कार्यालय से पंजीयन सूची है वर्तमान भारत सरकार द्वारा प्रिंट पत्रकारिता के लिए जो नियम बनाए गए हैं और चुनौतीपूर्ण हैं लेकिन राजनेताओं आम व्यक्तियों के विज्ञापन और नगद भुगतान लेकर समाचारों का प्रकाशन करने से कारण लगातार समाचार प्रकाशित हो रहे हैं बढ़ती आबादी की जनसंख्या तथा युवाओं में इंटरनेट की बुरी लत के कारण भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फल फूल रहा है।
भारतीय संविधान में पत्रकारों के कंट्रोल और नियंत्रण के लिए दंडात्मक नियम भी बनाए गए हैं लेकिन वर्तमान में न्याय प्रक्रिया की जटिलताओं और अदालतों की परेशानियों के कारण लोग मीडिया पत्रकारों के विरुद्ध अदालतों में कम से कम के अध्यक्ष कराने का प्रयास करता है।
प्रिंट पत्रकारिता से जुड़े संपादक प्रकाशक मुद्रक के सामने वर्तमान में आर्थिक संकट है और काम करने वालों की आभाव के कारण अधिकांश समाचार पत्र पीडीएफ यानी छपा हुआ समाचार सोशल मीडिया पर प्रचार प्रसार करने तक ही रह गया है लेकिन ऐसे समाचार पत्रों का भारत सरकार प्रदेश सरकार विज्ञापन सूची से अलग रखे हुए हैं उनको कोई भारत सरकार प्रदेश सरकार की सुविधाएं नहीं दी जाती हैं लेकिन जनमानस के बीच वह अपनी तिकड़म के माध्यम से समाचार पत्र चला देते हैं प्रिंट पत्रकारिता और चुनौतियां उनके समाधान को लेकर समय-समय पर बड़ी-बड़ी गोष्ठी का आयोजन होते हैं उनका क्या निष्कर्ष निकलता है यह तो समाचार प्रकाशन करने वाले ही बता सकते हैं वर्तमान में गिरता पत्रकारिता का स्तर भारत सरकार प्रदेश सरकार तथा प्रजातंत्र के लिए चिंता का विषय है जिस पर कठोर कानून बनाने की आवश्यकता है
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