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वास्तविक जीवन में माता-पिता ही असल गुरू : डॉ. अनिल शास्त्री भक्तिभाव से बने शिवलिंग, यज्ञ में दी गईं आहुतियां इंजीनियरिंग कॉलेज में असंख्य शिवलिंग निर्माण रूद्राभिषेक एवं प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का शुभारंभ

 छतरपुर। शहर के पंडित देवप्रभाकर शास्त्री इंजीनियरिंग कॉलेज में शिव परिवार, मां सरस्वती एवं गृहस्थ संत श्री दद्दाजी, गुरूमाता छोटी जिज्जी की प्रतिमाओं का प्राण प्रतिष्ठा और असंख्य शिवलिंग निर्माण रूद्राभिषेक यज्ञ का शुभारंभ विधिविधान से हो गया।

गृहस्थ संत डॉ. अनिल शास्त्री घनश्याम बाग के सानिध्य में शुक्रवार को सुबह पंचांग पूजन, जलाधिवास एवं मंडप पूजन से असंख्य शिवलिंग निर्माण रूद्राभिषेक और प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का श्रीगणेश किया गया। छतरपुर विधायक आलोक चतुर्वेदी, वरिष्ठ इंका नेता विनोद दीक्षित, महाराजपुर विधायक नीरज दीक्षित, व्हीएव्ही ग्रुप ऑफ एजुकेशन के डायरेक्टर अशोक दीक्षित, सचिव श्रीमती सरोज जैन सहित दद्दा शिष्य मंडल के सदस्यों की मौजूदगी में सर्वप्रथम श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव से शिवलिंग निर्माण किए और पूजन किया। तत्पश्चात मंत्रोच्चार के साथ पंचांग पूजन, जलाधिवास एवं मंडप पूजन किया गया। दोपहर में गृहस्थ संत डॉ. अनिल शास्त्री ने अमृत वचनों में रामकथा का बखान किया। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन में चित्र, विचित्र और अति विचित्र का अनूठा समागम होता है। चित्र जो है हमारा जन्म है, विचित्र हमारा जीवन है और अति विचित्र हमारा मरण हैं। इसलिए हमें मृत्यु और जन्म को समझकर अपने सुकर्मों पर ध्यान देना होगा। जीवन में हमें अगर कुछ पाना है तो भाव जीवन में बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि गुरू हमारे वास्तविक जीवन में अगर कोई हैं तो हमारे माता-पिता है। अगर इनको हमने विशुद्ध रूप में स्वीकार कर लिया तो हमारा कल्याण हो जाएगा। गौरतलब है कि ग्राम गठेवरा स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज में तीन दिवसीय धार्मिक आयोजन किया जा रहा है।
प्रतिदिन असंख्य शिवलिंग निर्माण सुबह 7.30 से 11 बजे तक, सुबह 11 बजे से महारूद्राभिषेक आरती एवं डॉ. अनिल शास्त्री के मुखारबिंद से कथा का वाचन किया जा रहा है। शनिवार को प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में देवपूजन, अन्नाधिवास एवं श्रेयाधिवास होगा। जबकि 26 मार्च को शिव परिवार, गुरूदेव दद्दाजी एवं छोटी जिज्जी की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा विधिविधान से होगी। तत्पश्चात कन्याभोज एवं प्रसाद वितरण के साथ धार्मिक आयोजन का समापन होगा।



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