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द्वितीय दीक्षांत समारोह राष्ट्र के निर्माण में युवाओं की प्रतिबद्धता समय की मांग है:राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल समृद्धशील समाज एवं देश के विकास में शिक्षा सर्वोपरी है

 छात्र दीक्षित होकर समाज के वंचित और पिछड़े लोगों के उत्थान के ध्वज वाहक बनकर कार्य करें


गोल्ड मेडल व उपाधि प्राप्त करने वाले 93 छात्रों का हुआ सम्मान

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प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि विकसित राष्ट्र के निर्माण में युवाओं की प्रतिबद्धता समय की मांग है। छात्र दीक्षित होकर समाज के वंचित और पिछड़े लोगों के उत्थान के ध्वज वाहक बनकर कार्य करें। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि देश के विकास एवं समृद्धशील समाज के लिये शिक्षा सर्वोपरी है। राज्यपाल ने शनिवार को पं. बाबूराम चतुर्वेदी स्टेडियम में महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड युनिवर्सिटी के द्वितीय दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुये उक्त उद्गार व्यक्त किये। सारस्वत दीक्षांत समारोह में विद्वान, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, राजस्थान के प्रोफेसर श्री कैलाश चन्द्र शर्मा, सांसद श्री व्ही.डी. शर्मा, पद्मश्री बुन्देली कवि डॉ. अवधकिशोर जड़िया, कुलगुरु प्रो. टीआर थापक, कुलसचिव डॉ जे.पी. मिश्र मंचासीन रहे। इस अवसर पर विधायक श्री प्रद्युम्न सिंह लोधी, श्री राजेश शुक्ला, श्री राजेश प्रजापति, पूर्व राज्यमंत्री श्रीमती ललिता यादव, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती विद्या अग्निहोत्री, नगरपालिका अध्यक्ष ज्योति चौरसिया, कलेक्टर श्री संदीप जी.आर., पुलिस अधीक्षक श्री सचिन शर्मा, जनप्रतिनिधिगण यूनिवर्सिटी एवं कॉलेज के प्रोफेसर, जिला पुलिस प्रशासन के अधिकारी, छात्र-छात्राएं और मीडिया प्रतिनिधि उपस्थित थे।  

राज्यपाल ने आगे कहा कि देश को प्रगतिशील एवं साधन संपन्न बनाने में शिक्षित युवाओं का सहयोग आज की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। समाज और देश के हित में शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देना जरूरी है। शिक्षा का मूल उद्देश्य ज्ञान सृजन कराने के साथ-साथ युवाओं को रोजगार प्रदाय करना मुख्य होना चाहिए। युवा जहां जाये वहां निष्ठा से कार्य करते हुये सफलता हासिल करें।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि विद्यालय एवं महाविद्यालय से पढ़ने के बाद युवाओं का ज्ञान सृजन रूपी जन्म होता है, जो समाज एवं देश को प्रगति के पथ पर ले जाने में फायदेमंद होता है। उन्होंने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्रों को शुभकामनाएं देते हुये कहा कि भावी जीवन में प्रगति करें। उन्होंने कहा कि शिक्षक और पालक बच्चों की सफलता में अपनी खुशी देखते है।  

मुख्य अतिथि एवं खजुराहो सांसद श्री व्ही.डी. शर्मा ने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को बधाई देते हुये उनके उन्नत एवं प्रगतिशील जीवन के लिये शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि उपाधिधारक हमारे गौरव है। वे भारत के साथ-साथ विदेश में कहीं न कहीं नेतृत्व करने का काम करेंगे। दीक्षित होकर युवा देश की पहचान और विकास का परिदृश्य बदल सकते है। उपाधिधारक ऐसे छात्रों को और संबल बनाना और अधिक ताकत देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री ने नई शिक्षा नीति में विशेष प्रावधान किये है जिससे मेडीकल विधा में हिन्दी में शिक्षा पाने की सहुलियत शुरू हुई। प्रदेश में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में देश में मध्यप्रदेश ऐसा पहला राज्य है जहां मेडीकल की पढ़ाई हिन्दी भाषा में शुरू की गई।  

प्रोफेसर कैलाश चन्द्र शर्मा ने दीक्षांत समारोह की महत्ता को रेखांकित करते हुये कहा कि दीक्षांत परम्परा भारत वर्ष की सांस्कृतिक परम्परा है।

प्रारंभ में मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन कर दीक्षांत समारोह का शुभारंभ किया गया। छात्राओं द्वारा विश्वविद्यालय का कुलगान गाया गया, कुलगुरु प्रो. टी.आर. थापक और कुलसचिव डॉ जे.पी. मिश्र ने मंचासीन अतिथियों का आत्मीय स्वागत कर स्मृति चिन्ह भेंट किये। स्वागत भाषण एवं विश्वविद्यालय की उल्लेखनीय उपलब्धि की जानकारी कुलगुरु प्रो. टी.आर. थापक ने दिया।

दीक्षांत समारोह में विभिन्न संकायों की उपाधियों के वितरण की प्रक्रिया में एमए हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, दर्शन शास्त्र, समाज शास्त्र, अर्थ शास्त्र, इतिहास भूगोल, एमएससी भोतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र, गणित, वनस्पति शास्त्र, माइक्रोबायलॉजी, प्राणी शास्त्र, भूगर्भ शास्त्र, बीएससी  बी.ए बीलिब एलएलएम, एलएलबी, बीएएलएलबी आर्नस, बीएएलएलबी, एमकॉम और बीकॉम, एमएड और बीएड, एमएचएससी और बीएचएससी के 58 छात्र-छात्राओं को उपाधि एवं 35 को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। उपाधिधारी को स्वर्ण पदक विजेताओं को शपथ दिलाई गई। मंच संचालन प्रोफेसर बहादुर सिंह परमार ने  और आभार प्रदर्शन कुलसचिव डॉ जे.पी. मिश्र ने माना। दीक्षांत समारोह के प्रारंभ में राज्यपाल ने कार्यकारणी सदस्यों और विभिन्न संकायों के एचओडी के साथ फोटो सेशन और शोभा यात्रा में भाग लिया।













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