ads header

Breaking News

बुंदेलखंड गेराज में राम कथा का दूसरा दिन

 *भगवान पर विश्वास करना अंधविश्वास नहीं, सुख शांति और आनंद का विषय है राम कथा  : संत श्री मैथिलीशरण भाई जी*

छतरपुर,बुंदेलखंड गेराज में आयोजित सप्त दिवसीय राम कथा के दूसरे दिन लक्ष्मण चरित की व्याख्या करते हुए संत मैथिलीशरण जी भाई जी ने कहा कि भगवान पर विश्वास करना अंधविश्वास नहीं है उन्होंने कहा विश्वास तो अंधा ही होता है क्या कभी आंख खोलकर भी विश्वास किया जा सकता है? जीवन में बहुधा दुख का कारण आंख का खुलना है आंख बंद होती है तो दुख का लेश मात्र नहीं होता है, रामकथा का विषय तो यह है कि आप भगवान पर विश्वास भगवान की प्राप्ति के लिए कर रहे हैं अथवा संसार की वस्तुएं पाने के लिए, कथा जादूगरी का विषय नहीं है, सड़क पर तमाशा दिखाने वाले जादूगर की तरह यदि कोई भक्तों की भावुकता भुनाने का काम कर रहा है तो वह श्रद्धा और विश्वास ना होकर जादूगरी है यदि कोई व्यक्ति मेरे अपने भाई बहनों,रुपयों की जानकारी दे रहा है तो इसमें कौन सी जादूगरी है वह तो हमें  पहले से ही पता है, भक्तों में भगवान की भावना को कलंकित करने के नाम पर इस तरह का काम करने के पहले हमें सोचना चाहिए कि हमने अंधभक्ति को बढ़ावा दिया है या भगवान की भक्ति को,जीवन में भगवान की भक्ति को बढ़ाइए भगवान के चरणों में प्रेम को बढ़ाइए ना कि अंधविश्वास को,
 चारों भाइयों के विवाह के बाद महाराज दशरथ के आनंद की कथा सुनाते हुए भाई जी ने कहा कि दशरथ जी को अर्थ धर्म काम और मोक्ष रूपी चारों पुरुषार्थ के फल क्रियाओं सहित प्राप्त हो गए
*मुदित अवधपति सकल सुत बधुन्ह समेत निहारि।*
*जनु पाए महिपाल मनि क्रियन्ह सहित फल चारि॥*
संत मैथिलीशरण जी ने कहा कि सबसे छोटे भाई शत्रुघ्न अर्थ रूपी पुरुषार्थ है और वह सदा चुप रहते हैं जैसे पैसे को बोलना नहीं चाहिए, अर्थ रूपी पुरुषार्थ की क्रिया लोभ नहीं दान होती है उसी तरह काम रूपी पुरुषार्थ की क्रिया भोग नहीं अपितु योग है, रामायण में लक्ष्मण जी काम के प्रतीक हैं, मानस का योग देखिए लक्ष्मण जी के वन गमन के समय उर्मिला जी उन्हें छोड़ने दरवाजे तक नहीं आई, मनु शतरूपा की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि माया जब भगवान का काम करे तब वह आदिशक्ति है, पर माया यदि संसार की वस्तुएं बटोरने में लग जाए तो फिर यह हमारी माया है जिसे अंधविश्वास कहा जा सकता है





No comments