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मोदी ने लिखी भारत-अमेरिका मैत्री संबंधों की नई इबारत कृष्णमोहन झा

 अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रथम प्रत्यक्ष भेंट ने भारत और अमेरिका के बीच मैत्री संबंधों के नए युग की शुरुआत कर दी है। लगभग आठ माह पूर्व जब जो बाइडेन ने अमेरिकी राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण किया था उसके बाद से ही दोनों राष्ट्राध्यक्षों की  प्रत्यक्ष भेंट  की   केवल भारत ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय जगत में भी उत्सुकता से प्रतीक्षा की जा रही थी। यद्यपि इसके पहले  मोदी और बाइडेन दो बार फोन पर बात कर चुके हैं परंतु मोदी की इस अमेरिका यात्रा  के दौरान बाइडेन के साथ उनकी प्रत्यक्ष  बातचीत में अनेक महत्वपूर्ण ज्वलंत मुद्दों पर विस्तार से चर्चा संभव हो सकी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत में जो आत्मीयता प्रदर्शित की उनसे सहज ही यह अनुमान लगाया जा सकता है कि बाइडेन  भारत -अमेरिका के संबंधों को नई ऊंचाईयों तक ले जाने के इच्छुक हैं। विगत माह अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद जिस तरह वहां आतंकवादी संगठनों के पनपने की आशंकाओं ने सारी  दुनिया को चिंता में डाल रखा है उसे देखते हुए जो बाइडेन और मोदी की मुलाकात को विशेष महत्व दिया जा रहा था इसीलिए दोनों राष्ट्राध्यक्षो के बीच बातचीत में अफगानिस्तान के ताजा  हालातों पर विशेष रूप से चर्चा की गई। अफगानिस्तान में सत्ता पर तालिबान का कब्जा होने के बाद वहां पाकिस्तान का  जिस तरह हस्तक्षेप बढ रहा है उस पर भी जो बाइडेन और नरेंद्र मोदी ने विचारों का आदान-प्रदान किया और जो बाइडेन ने भी प्रधानमंत्री मोदी की इस बात से सहमत व्यक्त की  कि जब तक पाकिस्तान की ओर से तालिबान को बढ़ाव मिलता रहेगा तब तक वहां परिस्थितियों में बदलाव आने की संभावनाएं बलवती नहीं हो सकती। दरअसल आवश्यकता इस बात की है कि अमेरिका अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके पाकिस्तान को इस बात के लिए विवश करे कि वह  अफगानिस्तान  की तालिबान सरकार के माध्यम से अपने आतंकी एजेंडे को पूरा करने की कोशिशों से बाज आए। अमेरिका संसद के अनेक सदस्यों की इस राय से वहां की जनता का एक बड़ा वर्ग भी सहमत है कि अगर तालिबान की पीठ पर पाकिस्तान का हाथ न होता तो वह इतनी आसानी से काबुल फतह करने में सफल नहीं हो सकता था इसलिए अमेरिका में बाइडेन प्रशासन पर लगातार इस बात के लिए दबाव बढ़ रहा है कि वह पाकिस्तान को उसकी  इस हरकत के लिए सबक सिखाने हेतु अमेरिका को उसके विरुद्ध सख्त कदम उठाना चाहिए।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस संबंध में  बाइडेन के साथ अपने विचार साझा करके अफगानिस्तान में हालात सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की है और अगले कुछ महीनों के अंदर अगर बाइडेन प्रशासन पाकिस्तान के साथ और सख्ती से पेश आता है तो उसे मोदी की इस अमेरिका यात्रा की महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जाना चाहिए। यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने के बाद बाइडेन ने अभी तक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से बात करने में कोई रुचि प्रदर्शित नहीं की है इसे भी पाकिस्तान में बाइडेन की नाराजी के रूप में देखा जा रहा है। अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बातचीत में जो बाइडेन द्वारा प्रदर्शित आत्मीयता ने भी  पाकिस्तानी हुक्मरानों को चिंता में डाल दिया है । गौरतलब है कि अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अपनी बातचीत में यह माना था कि पाकिस्तान में अनेक आतंकी संगठन सक्रिय हैं और उनके  विरुद्ध पाकिस्तानी सरकार को सख्त कार्रवाई करना चाहिए जिससे कि भारत और अमेरिका की सुरक्षा पर कोई प्रभाव नहीं पडे ।अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने  प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी प्रथम प्रत्यक्ष भेंट में जो आत्मीयता दिखाई उससे यह साबित हो गया है कि  पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप  भारत और अमेरिका के मैत्री संबंधों को मजबूत करने के लिए जितने उत्साहित थे उतने ही उत्साहित वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बातचीत में उनका जो उनके लहजा इतना सहज सरल था मानों दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच पुराने  दोस्ताना  संबंध हों। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भारतीय प्रधानमंत्री  मोदी के साथ लगभग एक घंटे की बातचीत में यह संदेश संदेश देने के इच्छुक नजर आए कि वे दोनों देशों के बीच मैत्री संबंधों को नई ऊंचाईयों तक ले जाने में कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे। जब यही आश्वासन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से भी उन्हें मिला तो यह सुनिश्चित हो गया कि दोनों राष्ट्राध्यक्ष  उभय देशों के  बीच मधुर संबंधों की नई इबारत लिखने का  संकल्प ले चुके हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अमेरिका की प्रगति और समृद्धि में भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों के उल्लेखनीय योगदान की सराहना करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच पारिवारिक संबंध हैं। अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के 40 लाख लोग रोज अमेरिका को मजबूत बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने दोनों देशों के बीच रिश्तों को पारिवारिक बताते हुए कि हमने आज आपसी संबंधों का नया अध्याय प्रारंभ किया है।  जो बाइडेन ने अतीत की स्मृतियों को ताजा करते हुए कहा कि 2006 में जब वे अमेरिका के उपराष्ट्रपति थे तभी उन्होंने यह भविष्यवाणी कर दी थी कि 2020 तक अमेरिका और भारत के बीच  निकटतम मैत्री संबंधों कायम हो चुके होंगे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका की प्रगति में भारतीय मूल के लोगों के उल्लेखनीय योगदान पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस दशक में भारत- अमेरिका संबंधों को मजबूत बनाने में व्यापार की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। मोदी ने वर्तमान दशक को आकार देने में जो बाइडेन के नेतृत्व की भूमिका अहम साबित हो सकती है। प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दुनिया के समक्ष मौजूद चुनौतियों से निपटने में दोनों देशों की मैत्री को महत्वपूर्ण बताया।

              प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपने इस अमेरिका- प्रवास में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए जिन मुद्दों  को अपने भाषण  में शामिल किया वे आज सारे विश्व के लिए कठिन चुनौती बने हुए हैं। राजनीतिक हथियार के रूप में आतंकवाद का इस्तेमाल कर रहे  प्रतिभागी सोच रखने वाले देशों को सचेत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहां कि उनके इसके खतरों का अहसास होना जरूरी है। प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ में अफगानिस्तान का उल्लेख करते यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया  कि अफगानिस्तान और की धरती का उपयोग आतंकवाद के प्रसार और आतंकी गतिविधियों के लिए न होने पाए। प्रधानमंत्री मोदी ने  अफगानिस्तान की नाज़ुक स्थिति से  फायदा उठाने की मंशा रखने वाले देशों से इस मानसिकता का परित्याग करने की अपील की। प्रधानमंत्री मोदी ने अफगानिस्तान में महिलाओं , बच्चों और अल्पसंख्यकों की मुश्किलों की ओर अंतर्राष्ट्रीय जगत का ध्यान आकर्षित करते हुए उन्हें तत्काल मदद उपलब्ध कराने की जरूरत पर बल दिया। प्रधानमंत्री मोदी की यह अमेरिका यात्रा बेहद  सफल मानी जा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति  जो बाइडेन ने जिस गर्मजोशी के साथ उनका स्वागत किया वह इस बात का परिचायक था कि वे मोदी के अमेरिका आगमन की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे थे। मोदी के साथ बातचीत में जो बाइडेन इतने मशगूल हो गए थे कि उन्हें इस बैठक के लिए तय समय सीमा का भी ध्यान नहीं रहा और यह बैठक तय समय के बाद भी चलती रही। 

(लेखक भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ के राष्ट्रीय संयोजक है)


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