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हवा का रुख बदलने की क्षमता के धनी गोविन्द सिंह राजपूत कृष्णमोहन झा/

 गोविन्द सिंह राजपूत के जन्मदिवस पर विशेष (कृष्ण जन्माष्टमी )

पिछले ढाई दशकों से मैं हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत हूं ।इस अवधि में मैं अपने व्यावसायिक दायित्वों का निर्वहन  करते हुए जिन राजनेताओं के संपर्क में आया हूं उनमें से कुछ राजनेताओं की विनम्रता, सादगी, जनता के प्रति उनके समर्पण और साफगोई ने मुझे बहुत प्रभावित किया है।  ऐसे  राजनेताओं की  संख्या भले ही दिनों दिन घटती जा रही हो परंतु वे चाहे जिस दल से संबंध रखते हों , जनता उन्हें सिर आंखों पर बिठातीहै। ऐसी ही लोकप्रिय छवि के धनी मेरे मित्र गोविन्द सिंह राजपूत हैं जो वर्तमान में मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री हैं।आज उनका  जन्मदिन है।इस शुभ अवसर पर उन्हें मैं अपनी ओर से हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए गर्व के साथ कह सकता हूं कि सुरखी विधानसभा क्षेत्र की जनता के लाड़ले गोविंद भैया मेरे   मित्र हैं।यह  भी  एक सुखद संयोग ही  माना जा सकता है कि  सागर जिले के नरयावली गांव के एक संभ्रांत कृषक स्वर्गीय श्री ज्ञानसिंह राजपूत के यहां जिस दिन उनके तृतीय पुत्र ने जन्म लिया उस दिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुभ तिथि भी थी। इस शुभ तिथि पर घर में पुत्र जन्म का प्रसंग   पिता श्री ज्ञानसिंह राजपूत और माता श्रीमती वीरवती राजपूत के लिए अनिर्वचनीय प्रसन्नता का विषय बन गया था इसीलिए उन्होंने अपनी तीसरी संतान का शुभनाम गोविन्द रखा। तीक्ष्ण बुद्धि के धनी गोविन्द सिंह राजपूत ने बचपन में ही अपनी विलक्षण प्रतिभा का परिचय देकर 'होनहार बिरवान के, होत चीकने पात' कहावत को सच साबित कर दिया था। उनके तीन दशक के राजनीतिक सफर में  जिन्हें उनको नजदीक से देखने का सौभाग्य मिला है उनके लिए गोविन्द सिंह राजपूत एक दृढनिश्चयी और प्रबल इच्छा शक्ति के धनी कर्मयोगी हैं।

 यूं तो गोविंद सिंह राजपूत  की सहज सरल और हर दिल अजीज शख्सियत के बारे में काफी कुछ लिखा जा सकता है परंतु उनके  मित्र होने के नाते मैं  यह भी जानता हूं कि उन्हें अपनी तारीफ सुनना पसंद नहीं है । उनकी रुचि तो हमेशा यह जानने में रही है कि उनके अपने दायित्वों के निर्वहन में कहीं कोई चूक परिलक्षित हो तो उसे तत्काल उनकी जानकारी में लाया जाए ताकि उसका अविलंब परिमार्जन किया जा सके। संत कबीर का दोहा " निंदा नियरे राखिये ,आंगन कुटी छवाय, बिन पानी साबुन बिना,निर्मल करत सुभाय।" उनके राजनीतिक जीवन का आदर्श रहा है इसलिए गोविंद सिंह राजपूत ने आज की उस राजनीतिक जमात में अपनी अलग पहचान बनाई है जो केवल प्रशंसकों की भीड़ में घिरे रहना पसंद करती है। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मेरे अनन्य मित्र गोविन्द सिंह राजपूत को आप ऐसे राजनेताओं की श्रेणी में कतई नहीं रख सकते। यह बात मैं अपने अनुभव के आधार पर कह रहा हूं।  गोविन्द सिंह राजपूत  के साथ मेरे संबंध प्रगाढ़ होने ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌के बावजूद मैंने जब कभी भी  शिवराज सरकार के फैसलों और नीतियों की आलोचना में लेख लिखे हैं तो उसका हमारे संबंधों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। गोविन्द सिंह राजपूत ने आज तक मुझसे  अपनी सरकार के पक्ष में लिखने का आग्रह नहीं किया। यही कारण है कि आज तक हमारे संबंधों में खटास नहीं आई। 

          सागर जिले के अंतर्गत नरयावली गांव के  एक साधारण  कृषक परिवार में जन्मे गोविंद सिंह राजपूत ने जब प्रबंधन में स्नातकोत्तर उपाधि अर्जित की तो वे  किसी प्रतिष्ठित संस्थान में मोटी तनख्वाह वाली नौकरी हासिल कर अपने सुंदर भविष्य के सपने को साकार करने का विकल्प भी  चुन सकते थे परंतु उन्होंने राजनीति के माध्यम से समाज सेवा  की पथरीली राह पर  चलने का विकल्प चुनकर  पीड़ित मानवता की सेवा को अपने जीवन का चरम लक्ष्य बना लिया। अपने दो अग्रज बंधुओं की भांति कर्मठ  समाजसेवी गोविन्द सिंह राजपूत के अंदर छिपे एक प्रखर नेता के गुण तो उनकी किशोरावस्था में ही उजागर होने लगे थे। सबको साथ लेकर चलने का उनका स्वभाव हमेशा ही उनके चाहने वालों की संख्या में इजाफा करता रहा और यह सिलसिला तब से लेकर आज तक निरंतर जारी है । यही कारण है कि गोविन्द सिंह राजपूत राज्य विधानसभा के सुरखी निर्वाचन क्षेत्र से चार  बार शानदार जीत हासिल कर जीत चुके हैं। उक्त निर्वाचन क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता का यह आलम है कि वे किसी भी दल से चुनाव लड़ें,जीत उनकी ही होती है। हर चुनाव वे पार्टी प्रत्याशी के रूप में नहीं बल्कि गोविन्द सिंह राजपूत के रूप में जीतते आए हैं।सुरखी में  उन्हें सभी से गोविन्द भैया संबोधन मिला हुआ है जिसके पीछे प्रगाढ़ आत्मीयता का भाव होता है । इसमें दो राय नहीं हो सकती कि  उनके परमार्थी स्वभाव ने ही उन्हें अपने क्षेत्र की जनता का लाडला नेता बनाया है।

   ‌‌          डेढ़ साल पहले मध्यप्रदेश की तत्कालीन कमलनाथ सरकार के पराभव की पटकथा लिखने वाले कांग्रेस विधायकों में गोविन्द सिंह राजपूत बड़ा चेहरा थे । दरअसल 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद जब राज्य में कमलनाथ सरकार का गठन हुआ तब जनता से किए वादों को भूलकर वह सरकार भ्रष्टाचार और अंतर्विरोधों का शिकार हो गई तब उन्हें लगा कि अगर यह सरकार आगे भी चलती रही तो प्रदेश में विकास का पहिया थम जाएगा इसलिए उन्होंने अपने साथी विधायकों के मिलकर सत्ता परिवर्तन की पटकथा लिखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। गत वर्ष जिन 26 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव संपन्न हुए उनके नतीजों से भी यह प्रमाणित हो गया कि  उनका यह फैसला उनके क्षेत्र की जनता की भावनाओं के अनुरूप  हथा। गौरतलब है कि सुरखी विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव ्गोविन्द सिंह राजपूत ने 2018 से भी अधिक मतों के अंतर से जीता था। गोविन्द सिंह राजपूत आज मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान  की टीम के एक वरिष्ठ सदस्य है । सरकार के सभी महत्वपूर्ण फ़ैसलों में उनकी राय अहम होती है। उनकी प्रशासनिक और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए उन्हें महत्वपूर्ण विभागों का प्रभार सौंपा गया है । सरकार के वरिष्ठ मंत्री के रूप में वे हर जिम्मेदारी के निर्वहन में वे सफल रहे हैं। जब भी मेरी उनसे मुलाकात का अवसर आता है तब मैंने हमेशा यह अनुभव किया है कि उनके अंदर प्रदेश के द्रुतगामी विकास की एक ललक है। वे जमीन से जुड़ेे ऐसे समर्पित  राजनेता हैं जिनके पास कोई भी व्यक्ति कभी भी अपनी समस्या के समाधान के लिए पहुंच सकता है।उनका यही गुण गोविन्द सिंह राजपूत को गोविन्द सिंह राजपूत बनाता है।(लेखक IFWJ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और डिज़ियाना मीडिया समूह के सलाहकार है)


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