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मिट्टी सत्याग्रह यात्रा के वापस छतरपुर पहुंचने पर हुआ जोरदार स्वागत चरण पादुका के बलिदान से देश को परिचित कराया जाना चाहिए : मेधा पाटकर राकेश टिकैत ने चरण पादुका शहीद स्थल की मिट्टी के साथ की फोटो को ट्वीट किया।

 छतरपुर//किसान क्रांति और संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले अमित भटनागर और दिलीप शर्मा के नेतृत्व में छोटे जलियांवाला वाग के रूप में प्रसिद्ध चरण पादुका शहीद स्थल से 2 अप्रैल को प्रारंभ यात्रा मऊरानीपुर, निवाड़ी, झाँसी, दतिया, ग्वालियर, मुरैना आदि के शहीद स्मारकों की मिट्टी एकत्र करते हुए 6 अप्रैल को दिल्ली पहुँची थी। इस यात्रा के समानांतर देश के लगभग 17 राज्यों के शहीद स्थलों की मिट्टी पहुंची, जिनसे किसान आंदोलन के चारों बॉर्डर पर शहीद अमर स्तंभ निर्मित होना प्रारंभ हो गया है। यात्रा

के 8 अप्रैल को छतरपुर पहुँचने पर, कन्नौज पीठाधीश्वर आनंद धाम पीठाधीश्वर चित्रकूट अतुलेशानंद गिरि महाराज, नीला हार्डीकर सहित कई गणमान्य लोगों द्वारा यात्रा दल में समिल्लित अमित भटनागर, दिलीप शर्मा, सोना आदिवासी, अरविंद, देवेंद्र सिंह राजावत, रमन शर्मा और पुष्पेंद्र सिंह पायक आदि का जोरदार स्वागत किया गया। किसान क्रांति द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया। स्वागत करने वालों में हिसाबी राजपूत, भगत राम तिवारी, बहादुर आदिवासी, सुमित यादव, गुड़ी राम शर्मा, डॉक्टर दिनेश मिश्रा, देवीदीन कुशवाहा सहित नगर के कई गणमान्य लोग सम्मिलित हुए।

किसान आंदोलन के केंद्र दिल्ली के सिंघु, टिकरी, गाजियाबाद और शाहजहांपुर बॉर्डर पर देशभर के  शहीद स्थलों से एकत्र की हुई मिट्टी से अमर शहीद स्तंभ निर्माण के दौरान आयोजित जनसभाओं के दौरान अमित भटनागर व दिलीप शर्मा ने वहां पर उपस्थित राकेश टिकैत, मेघा पाटकर, योगेंद्र यादव, डॉ सुनीलम, फिरोज मीठीबोरवाला, शबनम हाशमी, सुमित महापात्रा और अरुण श्रीवास्तव जैसी प्रख्यात हस्तियों सहित देश के लाखों लोगों के बीच बुंदेलखंड के जलिया वाले बाग के रूप में प्रसिद्ध चरण पादुका की बलिदान कथा को विस्तृत रूप से सबके सामने रखा, जिस पर मेधा पाटकर  सहित सभी लोगों का कहना था कि जिन अमर शहीदो के बलिदान से हमने आजादी पायी, जलियांवाला बाग में हमारे कई शहीदों ने बलिदान दिया, परिणाम स्वरूप आज सारा देश उन अमर शहीदों को याद करता है। पर इसी तरह की घटना जब बुंदेलखंड के छतरपुर के चरण पादुका में घटित होती है तो पता नहीं क्यों हमारी सरकार ऐसे बलिदान गाथा को पाठ्यक्रम में शामिल करने और विभिन्न माध्यमों से लोगों के बीच में लाने में क्यों संकोच करती हैं, मैं समझ नहीं पाती हूं? तथा उन्होंने कहा कि इस तरह की बलिदान गाथा को देश के सामने आना चाहिए कि हम अपने पुरखों पर ज्यादा से ज्यादा गर्व कर सके और उनके मूल्यों को आगे बढ़ा सकें। राकेश टिकैत ने चरण पादुका शहीद स्थल की मिट्टी के साथ फोटो खिंचा कर, उक्त फोटो अपने टि्वटर पर शेयर किया।




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