ads header

Breaking News

जीवन की भागदौड़ में व्यस्त व्यक्ति अल्पविराम से जान सकता है हैप्पीनेस : वन मंडलाधिकारी

 जीवन की भागदौड़ में व्यस्त व्यक्ति अल्पविराम से जान सकता है हैप्पीनेस : वन मंडलाधिकारी

छतरपुर, जीवन की निरंतर भागदौड़ में व्यस्त व्यक्ति अल्पविराम के माध्यम से अपने आनंद की पहचान कर उसे पाने का प्रयास कर सकता है वन विभाग की हमा डिपो में आयोजित अल्पविराम कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए वन मंडलाधिकारी बेनी प्रसाद दोतानिया ने कहा कि बहुत पहले हम ग्रीन जीडीपी पर फोकस करते थे फिर जीडीपी और अब वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स की बात करते हैं भारत और अमेरिका दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था के बावजूद हैप्पीनेस के मामले में छोटे-छोटे देश भूटान, फिनलैंड आगे हैं अल्पविराम के माध्यम से जो जीवन हम जी रहे हैं उसे देखने का मौका मिलता है, राज्य आनंद संस्थान के सीईओ अखिलेश कुमार अर्गल ने भी कार्यक्रम को वर्चुली संबोधित किया
कलेक्टर संदीप जीआर के निर्देशन में आनंद विभाग की ओर से लखनलाल असाटी, श्रीमती आशा असाटी, रामकृपाल यादव, शिवनारायण पटेल, एवं नीलम पांडे द्वारा संपन्न अल्पविराम कार्यक्रम में वन विभाग के एसडीओ, रेंजर, वनरक्षक और अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे
आज पहली बार जीवन के निजी पहलू पर ध्यान गया, अल्पविराम ने सोचने पर विवश किया
एसडीओ कार्तिक नायक ने इसे अत्यंत महत्वपूर्ण कार्यक्रम बताया, रेंजर आशुतोष अग्निहोत्री बाजना ने कहा कि आज जीवन के दूसरे पहलू की ओर भी ध्यान गया और आज हम यह सोचने पर विवश हुए कि आखिर जीवन में करना क्या चाहिए उन्होंने कहा अभी तो हम मशीनी जीवन जी रहे हैं बिजावर रेंजर एके तिवारी ने कहा कि अल्पविराम कार्यक्रम के पहले हमने जीवन के बारे में इस तरह से सोचा भी नहीं था, वनरक्षक रामेश्वर मिश्रा ने कहा कि जीवन से जुड़ी इस तरह की बातें हमने पहले किसी कार्यक्रम में सुनी भी नहीं है, डिप्टी रेंजर विनोद कुमार दुबे ने कहा कि अल्पविराम जीवन जीने का कार्यक्रम है भास्कर खरे ने कहा कि पद कद भी आनंद में बाधक है दूसरों से अपेक्षा भी आनंद कम करती हैं
परिवार के साथ हो अल्पविराम प्रशिक्षण कार्यक्रम
प्रतिभागियों ने कहा कि अल्पविराम कार्यक्रम को जब वह खुद के जीवन से जोड़ कर देख रहे हैं तब उन्हें लगता है कि यह कार्यक्रम पूरे परिवार के साथ होना चाहिए और यह बार-बार होना चाहिए तथा कुछ घंटों के लिए नहीं अपितु कुछ दिनों का कार्यक्रम होना चाहिए कई अधिकारियों ने कहा कि वह अपने क्षेत्र में इस तरह के कार्यक्रम को आयोजित करना चाहते हैं राज्य आनंद संस्थान से सहमति चाहिए, कुछ प्रेरणास्पद खेल गीत फिल्म और सत्रों के माध्यम से लोगों ने अपने निजी जीवन को देखा बहुत सारे बोझ उन्होंने अपने अंदर रखे हुए हैं जिन्हें हटाने की प्रेरणा मिली




No comments