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*पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास का छठवाँ व्याख्यान समपन्न * सनातन संस्कृति का प्रभाव और उसकी प्रासंगिकता " *भारत की चेतना बदल रही है || डॉ. कपिल तिवारी * *भारतीय संस्कृति  संस्कारों की जनंनी है || वीरेन्द्र असाटी * *व्याख्यानमाला बुंदेलखंड की लोक संस्कृति एवं लोक साहित्य के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में कारगर होगी: डॉ. राकेश मिश्र *

 छतरपुर//  महाराजा छत्रसाल  ऑडिटोरियम में  " सनातन संस्कृति का प्रभाव और उसकी प्रासंगिकता"  विषय पर शुक्रवार को  व्याख्यान माला आयोजित की गई |  पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास द्वारा आयोजित इस छटवीं  व्याख्यानमाला के  मुख्य अतिथि  पद्मश्री डॉ  कपिल तिवारी ने कहा कि समाज में सनातन आदि है अनंत है और हमेशा रहेगा, इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठाए ही नहीं जा सकते | 

जनसेवा और सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित पं. गणेश प्रसाद  मिश्र सेवा न्यास के इस गरिमा पूर्ण  कार्यक्रम के प्रारंभ में मां सरस्वती जी की प्रतिमा एवं गणेश प्रसाद जी व माता शांति मिश्रा जी के चित्र पर पुष्पांजलि और द्वीप प्रज्वलन किया गया | कार्यक्रम के मुख्य  अतिथि डॉ.  कपिल तिवारी, कार्यक्रम के अध्यक्ष  वीरेंद्र असाटी  का तथा  डॉ राकेश मिश्र का अंग वस्त्र व स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया गया |  इस मौके पर मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा  का अनावरण भी किया ग्यारह सभी के अन्न भंडार भरे रहें यह प्रार्थना की। |                         कार्यक्रम के प्रारंभ  में डॉ. राकेश मिश्र ने न्यास के कार्यो से लोगों को अवगत कराते हुए कहा की न्यास का ""  सनातन संस्कृति का प्रभाव और उसकी प्रासंगिकता "" का यह छटवां आयोजन है | आज की व्याख्यानमाला बुंदेलखंड की लोकसंस्कृति एवं लोक साहित्य के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में कारगर होगी।बुंदेलखंड की संस्कृति काफी समृद्ध है, जिसे राष्ट्रीय पटल पर लाने की दिशा में यह व्याख्यानमाला उपयोगी सिद्ध होगी। 

    कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ कपिल तिवारी ने इस  आयोजन के लिए आयोजकों को साधुवाद देते हुए कहा कि आज भारत की चेतना बदल रही है | भारत में यह परिवर्तन बहुत लम्बे समय बाद देखने को मिल रहा है | भारत ने अपनी अस्मिता को ना सिर्फ पहचाना है बल्कि इसके लिए उसने दुनिया को भी अपनी एक नई पहचान बता दी है | ये भारतीय सनातन संस्कृति ही है जिसने हमें एक ऐसा ज्ञान दिया है जो सनातन है जिसका ना कोई आदि है और ना कोई अंत है | हर पल नया कर रहा है | उन्होंने सनातन परम्पराओं और संस्कृति के ज्ञान को लेकर आने को आख्यानों के माध्यम से लोगों को और लोक को समझाया भी | उन्होंने जहाँ ज्ञान परम्परा, संत ,ऋषि , की चर्चा की। उन्होंने कहा  कि देश में सप्त मात्रिका  हम आप सब मानते हैं | सनातन संस्कृति ने ही हमें जीवन का मूल्य बोध दिया है | कार्यक्रम के अध्यक्ष वीरेंद्र  असाटी ने  कहा की भारतीय संस्कृति  संस्कारों की जननी है | सनातन संस्कृति  ही जिसने दुनिया को वसुधैव कुटुम्बकम का सन्देश दिया | सामाजिक समरसता हमारी  संस्कृति का अंग है | इसके सबसे बड़े उदाहरण देश में होने वाले तीज त्यौहार , मेले  वगैरह हैं |   कार्यक्रम के संचालक डॉ  विनोद रावत ने सभी  आमंत्रित अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा की सामजिक चेतना  जाग्रत करने के लिए इस तरह के आयोजन समाज को नई दिशा देते हैं | अंत में डॉ राकेश मिश्र ने अतिथि द्वय को स्मृति चिन्ह भेंट किये | वंदेमातरम् के साथ ही बाहर से पधारे अतिथियों का आभार किया।कार्यक्रम का समापन प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी की माता जी हीरा बेन को दो मिनिट श्रद्धा सुमन अर्पित करने के बाद हुआ |










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