जटायु पक्षी का उपचार व समाधिमरण एवं भरत के द्वारा संन्यास ग्रहण करना : आचार्य विभवसागर
हटा टीकमगढ । - 8/11 /2022 यहां पर विश्व शान्ति महायज्ञ एवं धर्म सभा श्री भगवान चंद्राप्रभू भगवान जिनालय अतिशय क्षेत्र हटा जी , मंदिर प्रांगण में सिद्धचक्र महामंडल विधान अन्तिम दिन जहाँ आचार्य श्री 108 विभव सागर जी महाराज द्वारा श्रीराम कथा सत्संग भक्ति मे जटायु पक्षी का उपचार व समाधिमरण एवं भरत के द्वारा संन्यास ग्रहण करना के प्रसंगो पर बताया कि लक्ष्मण भी खोजते खोजते सबसे पूछते हुये चले आ रहे हैं। आपने मेरी भाभी माँ को देखा क्या? क्या मेरी भाभी माता सीता यहाँ से गई है ? जाते-जाते लक्ष्मण देखते हैं. जटायु पक्षी घायल अवस्था में पड़ा है। देखो भैया! भैया यहाँ देखो। इधर आओ! राम, घायल जटायु से सीता के बारे में कुछ भी नहीं पूछते हैं, अपनी भुजाओं से उठाकर गोद में ले लेते हैं। हे पक्षीराज! तुम्हें ये क्या हुआ? जटायु तुम्हें किसने घायल किया ? कौन पापी है जिसने तुम्हारी ये दशा की ? राम लक्ष्मण से कहते हैं- पक्षीराज का उपचार करो। वृक्षों की औषधियाँ, जड़ी-बूटियाँ लाकर जटायु पक्षी को लगाते हैं, पर पक्षीराज की थोड़ी ही आयु शेष देखकर राम सोचते हैं अब पक्षीराज का मरण सन्यास पूर्वक मरण हो तो इसका अगला भव सुधार जायेगा।
महाराज श्री ने बताया कि राम जानते थे कि यह पक्षी सम्यक् दृष्टि है। मनुष्य से ज्यादा सदाचारी, व्रती, धर्मपरायण है जो शाकाहारी भोजन करता है, रात्रि भोजन नहीं करता है। राम पक्षीराज से कहते हैं , हे पक्षीराज! जिसने भी तुम्हें घायल किया तुम उसे क्षमा कर दो, उसके प्रति क्रोध मत रखना, कषाय मत रखना। कषाय करने से संसार बढ़ता जाता है। तुम उसको क्षमा कर दो। मुझसे अपराध हुआ हो तो मुझे भी क्षमा करना, सीता और लक्ष्मण को भी क्षमा करना। तुम संसार के प्राणीमात्र से क्षमा माँग लो। जीवन में जो पाप किये वो तो सब मुनि चरणों के गंधोदक में लोटने से धुल गये। महाराज श्री ने कहा कि आज तुम श्रद्धा के साथ णमोकार मंत्र का स्मरण करो। पूर्वभव में जब मैं पद्मरुचि सेठ था तब मैंने एक बैल को णमोकार सुनाया था। उसके प्रभाव से वह सुग्रीव राजा बना। हे पक्षीराज! ऐसा महामंत्र मैं आपको सुना रहा हूँ। तुम्हारी अंतिम श्वास महामंत्र के साथ गुजरेगी तो तुम्हारा जीवन एवं मरण सफल हो जायेगा।
णमोकार मंत्र सब बोलो, अंतर की अँखियाँ खोलो। महामंत्र है प्राण का दाता, सुबह-शाम सब जप लो।णमोकार सुनते-सुनते जटायु पक्षी की मृत्यु हो जाती है और पंचम स्वर्ग में ब्रह्मदेव हो जाता है। भक्ति प्रसंग मे भावविभोर करते हुए आचार्य विभवसागर जी ने बताया कि
अयोध्या में कुलभूषण देशभूषण, केवलियों का आगमन होना एवं भरत के द्वारा संन्यास ग्रहण करना
एक दिन माली आकर कहता है- दो मुनिराज पावन उपवन में आये हैं। मुनिराजों के आगमन से समस्त उपवन पुष्पों से सुगन्धित हो गया है। राम समझ गये कि कोई मुनिराज केवलज्ञानी हमारे नगर को पावन करने आ गये। श्रीराम अयोध्या में खबर पहुँचाते हैं कि आज हमारी अयोध्या के जन्म-जन्म के सातिशय पुण्य उदय से केवलज्ञानी महा मुनिश्वर पधारे हैं। समस्त प्रजाजन उनके सदुपदेश को सुनने सूर्योदय के साथ चले। राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न एवं सभी अयोध्यावासी मुनिराज के दर्शनार्थ जाते मुनि में कहते हैं- सोचो, जिनका मन मोह से ढका हुआ है वे व्यक्ति स्त्री, पुत्र, मित्र को अपना मानते हैं। जबकि आत्मा के सिवा संसार में कोई अपना नहीं है आत्मा के सिवा दूसरे को अपना मानना मूर्खता की पहली निशानी है। अगर दीपक में तेल, बाती हो तो माचिस की तीली उसे प्रज्ज्वलित कर सकती है।
भरत में वैराग्य की भावना कई जन्मों से थी। मुनिराज के उपदेश से भरत की वैराग्य भावना प्रस्फुटित हो गई। कुलभूषण मुनिराज का वह उपदेश भरत के हृदय दीपक में जो वैराग्यरूपी तेल था, उसमें संयम की ज्योति जलाने में माचिस की तीली का काम करती है।
वैराग्य आते ही, भैया राम ! आज तक मैंने बहुत राज्य कर लिया। पिता की आज्ञा का पालन भी किया, आप मेरे अग्रज हैं। अब इस राज्य का पालन कीजिये। मेरे अंदर वैराग्य की भावना प्रस्फुटित हो रही है। संयास के बगैर मुक्ति सम्भव नहीं है। भैया! मैं संन्यास लेना चाहता हूँ। आज महामुनिराज के पावन सान्निध्य में परम संन्यास धारण करना चाहता हूँ।
राम समझाते हैं- भैया भरत! जब घर में भाई ही नहीं तो ये चक्र, ये अयोध्या, ये राज्य किस काम का? भ्राता भरत! तुम मत जाओ। अगर तुम संन्यास के लिए चले। जाओगे तो मैं पुनः वन को चला जाऊँगा। भरत कहते हैं- भैया पूर्व में आपके वनगमन के समय मैंने आपकी आज्ञा का पालन किया। आज आप अपने इस अनुज की बात मान लीजिये।
भरत का जन्मजात बालक की तरह संन्यास हो जाता है। भरत के वैराग्य को देखकर माँ कैकयी भी संन्यास ले लेती ऐसा दृश्य देखकर राम की आँखें छलक जाती हैं। आयोजन समिति मे व्यवस्था सयोजक पवनघुवारा ने प्रेस विज्ञप्ति मे जानकारी दी यह विश्व शान्ति महायज्ञ एवं धर्म सभा का आयोजन सेठ वीरचंद सुनील कुमार अशोक क्रांतिकारी रसबंश परिवार निवासी हटा, बल्देवगढ़़ द्बारा किया जा रहा है ।
🙏राजेश रागी पत्रकार बकस्वाहा
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