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अंतर्राष्ट्रीय राम लीला महोत्सव ऋषिकेश के छठवें दिन के मंचन में प्रेम भक्ति का दिखा अद्भुत पारावार, जटायु और शबरी की परम भक्ति प्रेम से समूचे पंडाल में बही अनवरत रामचरित पावन गंगा

 सब हेड - समूचे मंचन ने  भक्तों के समक्ष राम की अनुपम भक्ति की अलख जगाई, मरणासन्न जटायु के मुख से भी निकल रहा था मेरे राम


ऋषिकेश/नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय राम लीला महोत्सव के छठवें दिन के मंचन में प्रेम भक्ति का अद्भुत पारावार दिखा, जटायु और शबरी की परम भक्ति प्रेम से समूचे पंडाल में रामचरित पावन गंगा अनवरत बहती रही। समूचे मंचन ने भक्तों के समक्ष प्रभु राम की अनुपम भक्ति की अलख जगाई।मंचन के दौरान कहीं मरणासन्न जटायु के मुख से भी निकल रहा था राम, राम तो कहीं आह्लादित शबरी के मुख से निकल रहा था मेरे प्रभु राम।


छठवें दिन की लीला के मंचन की शुरुआत भगवती सीता के हरण से शुरू होती है। इसमें पूर्व की योजना अनुसार रावण का मामा मारीच सुनहरा मृग बनकर राम जी की कुटिया के समक्ष मंडराने लगता है। जिस पर मोहित होकर भगवती सीता उसे  पाने को मचल जाती हैं। और प्रभु राम को उसे लाने उसके पीछे भेज देती हैं। प्रभु राम मायावी मारीच यानी सुनहरे मृग के पीछे चले जाते हैं। थोड़ी देर में प्रभु राम के बाण से घायल मारीच ने आवाज निकाली हे लक्षमण मैं संकट में हूं। तब अपने प्रभु राम को मुश्किल में देख सीता माता लक्षमण से जिद  करते हुये लक्षमण को भी प्रभु राम के पीछे भेज देती हैं। लक्षमण भाभी सीता के हठ से हारकर राम को बचाने चले जाते हैं। लेकिन वह अपनी शक्ति का संधान करते हुए लक्षमण रेखा खींचकर इससे बाहर न आने की हिदायत भी माता सीता दे जाते हैं। तभी घात लगाए बैठा दशानन रावण का मंच में प्रवेश होता है। मायावी रावण पहले भगवान राम का ही वेश धारण करने की कोशिश करता है। पर अद्भुत सत्य यह है कि जैसे ही वह भगवान राम का वेश धारण करता है। वैसे ही उसको पराई नारी में माँ नज़र आने लगती है। फिर रावण इससे भयभीत होकर एक साधु के रूप में पेश होता है। क्योंकि त्रेतायुग में गृहस्थ लोग किसी भी साधु को अपने घर से भूखा नहीं जाने देते थे। इसी के मद्देनजर रावण साधु के वेश में भिक्षा मांगने राम की कुटिया के समक्ष आकर अलख निरंजन, अलख निरंजन करने लगता है। तब यह आवाज़ सुनकर भगवती सीता कुटिया से ही रावण को भिक्षा देने लगती है। पर रावण उसे लेने से इंकार करते हुए वापस लौटने की बात कहता है। वह कहता है कि उक्त लक्षमण रेखा से बाहर आकर ही भिक्षा दो तभी लूंगा। भगवती सीता को लगता है कि साधु भूखा अगर लौट गया तो उनका गृहस्थ धर्म खतरे में पड़ सकता है। इसको सोचते हुए सीता लक्षमण रेखा से बाहर आकर भिक्षा देती है। तभी दशानन अपने असली स्वरूप में आकर भगवती सीता का हरण कर लेता है। इसी दौरान गिद्धराज जटायु सीता की चीख पुकार सुनकर उन्हें बचाने की कोशिश करता है लेकिन बाहुबली रावण उन्हें भी घायल करते हुए मरणासन्न कर देता है। जटायु लेकिन अपने प्राण नहीं त्यागते हैं। राम की भक्ति स्वरूप वह जिंदा रहते हैं। बाद में जब लक्षमण और भगवान राम सीता की खोज करते रहते हैं तभी उन्हें घायल मरणासन्न जटायु के मुख से निकल रहा राम राम शब्द सुनाई पड़ता है। राम और लक्ष्मण उनके पास आते हैं तो उन्हें जटायु के जरिए पता चलता है कि लंका के राजा रावण ने भगवती सीता का हरण कर लिया है। मरणासन्न जटायु भगवान राम की गोद में यह खुलासा करते हुए अपना प्राण त्याग देते हैं। अपने भक्त जटायु की ऐसी दुर्गति को देखकर भगवान राम भी इसके तुरंत बाद ही रावण के वध की प्रतिज्ञा कर लेते हैं।

आगे भगवती सीता की वन में खोज के क्रम में प्रभु राम की भेंट भीलनी शबरी से होती है। जो अपने गुरु मतंग मुनि के कहे अनुसार अपने इष्ट राम का इंतज़ार करती रहती है। तभी कोरस से भजन सुनाई पड़ता है बोलो राम जी मेरे घर कब आओगे। इसी बीच राम को देखते ही शबरी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं होता। वो भाव विव्हल होकर आश्रम की जमीन को साफ करते हुए प्रभु राम को आसन में बैठाती है। इसी दौरान वह प्रभु राम के चरण भी छू लेती है। फिर वह भय से भगवान राम को इसके लिये माफ करने को भी कहती है। तब भगवान राम कहते हैं कि मैं इस तरह की जात पात की ऊंच नीच को नहीं मानता हूं।मैं सिर्फ प्रेम का भूखा हूं।प्रेम स्वरूप सबके वश में हो जाता हूं।भगवान राम तब शबरी से कुछ खिलाने का आग्रह भी करते हैं। शबरी भी काफी समय से रखे बेर के मिठास की जांच चख चख कर करते हुए प्रभु राम को बेर खिलाते जाती है। लक्षमण हालांकि झूठे बेरों को पसंद नहीं करते हैं। लेकिन प्रभु राम भक्त भीलनी शबरी के झूठे बेर बड़े चाव से खाते जाते हैं।इसी प्रकरण में तो लोक जीवन के परम सत्य कि प्रभु प्रेम के भूखे होते हैं का अहम खुलासा हो जाता है।

माता शबरी के राम भक्ति प्रसङ्ग के दौरान ही परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती मुनि जी ने एक अति पिछड़े समाज से आने वाली द्रौपदी मुर्मू जी के देश  की राष्ट्रपति बनने का हवाला देते हुए देश की मोदी सरकार की जमकर सराहना करते हैं। चिदानंद सरस्वती मुनि जी कहते हैं कि वर्तमान में देश के दो विभूति, जिनमें एक तो हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी हैं और दूसरे हमारे माननीय गृह मंत्री अमित शाह जी हैं। जो देश की अस्मिता और अखंडता का भरपूर खयाल रखते हुए हम सबको विकास के पथ पर द्रुत गति से ले जा रहे हैं। उन्होंने इस अवसर पर मोदी जी और अमित शाह जी को और उज्ज्वल भविष्य की स्वर्णिम शुभकामनाएं भी दीं।रामचरित मानस में शबरी और जटायु परम भक्ति के प्रतीक हैं। जिनके मंचन के बाद प्रभु राम के सबसे परम भक्त महाबली हनुमान का मंच में आविर्भाव होता है। इस दौरान कथा व्यास अजय भाई जी की मुखवाणी से हनुमान चालीसा के कंचन जैसे अनमोल कण बरसने लगते हैं। बाद में वीर हनुमान सीता की खोज में व्यग्र अपने प्रभु  राम की पम्पा पर्वत पर वानर राज सुग्रीव से मुलाकात कराते हैं। तब सुग्रीव प्रभु राम को अपने भाई बाली के छल को बताते हुए उसके वध में सहयोग मांगता है। बाली सुग्रीव की पत्नी का अपहरण भी किये रहता है। प्रभु राम सीता की खोज में सहयोग मिलने की आस में सुग्रीव की सहायता करते हुए बाली का वध कर देते हैं।राम कहते हैं कि तुमने छोटे भाई की पत्नी का अपहरण किया था जो अपराध है। इस तरह प्रभु राम और सुग्रीव की आगे की रणनीति के तहत रावण वध करने के लिये मित्रता हो जाती है। कथा व्यास अजय भाई जी भी इसी दौरान आसुरी शक्ति के विनाश के लिये राम सुग्रीव की मित्रता को याद करते हुए धरती के पर्यावरण के दुश्मन प्लास्टिक को भी आसुरी शक्ति की संज्ञा देते हुए उसे नष्ट करने के लिये समूचे जनसमूह से आगे आने का आह्वान करते हैं। इसी समय देश के शहीदों की याद दिलाने वाला गीत मेरा रंग दे बसंती चोला की ओजस्विता भी गुंजायमान होने लगती है। और छठे दिन की लीला का भक्तिपूर्वक समापन हो जाता है। छठे दिन के मंचन में राम के रूप में प्रशान्त शर्मा, सीता के रूप में सिया शर्मा, रावण के रूप में तरुण नेगी, शबरी के रूप में अदिती, जटायु के रूप में शिवम और हनुमानजी के रूप में सछम शर्मा ने जीवंत अभिनय किया।


रंगमंच की अनुभवी डॉ. वंदना टण्डन के कुशल निर्देशन में स्कूली बच्चों के भाव प्रणय अभिनय को छठे दिन की लीला में अपलक निहारते रहे समस्त राम भक्त


उल्लेखनीय है कि साधना, साधना गोल्ड, संतवाणी और सर्व धर्म सङ्गम चैनलों में सीधा प्रसारण के दौरान परमार्थ निकेतन के आसपास और माँ गंगा के तीर का मनोरम दृश्य लीला को अलौकिक छटा प्रदान कर रहा है। जो सीधा प्रसारण देख रहे दर्शकों के लिये सोने पे सुहागा जैसा है।

सोमवार को लीला के सातवें दिन के मंचन में अशोक वाटिका, हनुमान सीता भेंट, एवं लंका दहन आदि संपन्न होगा।

लीला कथा स्वरूप हो रही है जिसमें कथा व्यास और राष्ट्र मंदिर विश्व रामायण आश्रम दिल्ली के श्री अजय भाई जी की भक्तिमय, मधुरमय वाणी,  लीला में  भक्ति की अविश्वसनीय और अविस्मरणीय सुर घोल रही है। 


*बाल कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुतियाँ *


उल्लेखनीय है कि इस अंतर्राष्ट्रीय  राम लीला महोत्सव के आयोजन में पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास सतना (मध्यप्रदेश) का अनुपम सहयोग शामिल है।

लीला समिति के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश टण्डन जी ने बताया कि बाल युवा  संस्कार योजना के तहत देश के विभिन्न स्कूलों वंदना इंटरनेशनल स्कूल द्वारका दिल्ली, कमल मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल मोहन गार्डन दिल्ली, गुरुग्राम ग्लोबल हाइट्स स्कूल गुरुग्राम, गुरुकुल परमार्थ निकेतन  ऋषिकेश के बच्चे इस लीला का मनोरम मंचन कर रहे हैं।

इस महोत्सव में लीला का मंचन इतना जीवंत और भक्तिमय हो रहा है कि टीवी में बैठे करोड़ों भक्त लोगों को भी प्रभु राम के आदर्श अध्यात्म की अनुपम महिमा का प्रत्यक्ष दर्शन स्वतः होने लगा होगा। अपने सामाजिक और जनकल्याण के कार्यों के लिये प्रसिद्ध पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास द्वारा इस रामलीला महोत्सव सहित देश के अन्य रामलीला महोत्सवों को विश्व भर में फैले रामभक्तों तक  पहुंचाने का बीड़ा उठाया गया है।


महोत्सव में शिरकत करने वाले विशिष्ट अतिथियों को किया गया सम्मानित


रविवार के मंचन से पूर्व महोत्सव में आये अतिथि इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजीव सिंह जी, पूर्व न्यायाधीश श्री बृजेश सेठी जी, दिल्ली के समाजसेवी एवं शिक्षाविद हीरालाल पांडेय जी, जनप्रतिनिधि कृष्ण गहलोत जी, आरपीएम स्कूल के यादव जी, ऐएसएम ग्रुप स्कूल के लूथरा जी, दिल्ली के समाजसेवी हिमांशु यादव जी सहित अन्य अतिथियों को मंच में लीला समिति के अध्यक्ष डॉक्टर वेद प्रकाश टंडन, वेद प्रकाश टण्डन जी की धर्मपत्नी डॉ. वंदना टंडन द्वारा राम दरबार का स्मृति चिन्ह व पौधे भेंट करते हुए सम्मानित किया गया। सभी अतिथियों को सम्मान स्वरूप अंग वस्त्रं भी पहनाया गया।






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