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किशोर-किशोरियों एवं मातृ-शिशु को मिल रहे बेहतर सेवाओं के अच्छे परिणाम आईएफए टेबलेट के सेवन से एनीमिया को रोकने सकारात्मक कदम कलेक्टर के निर्देशन में जिले में आमजन के स्वास्थ्य के दृष्टिगत चलाई जा रही मुहीम स्कूलों में शिविर के साथ दिलाई जा रही बेहतर पोषण की शपथ

 कलेक्टर छतरपुर श्री संदीप जी आर के निर्देशन में छतरपुर जिले में आमजन के बेहतर स्वास्थ्य के दृष्टिगत विशेष मुहीम चलाई जा रही है। कलेक्टर द्वारा स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास विभाग को संयुक्तरूप से इस दिशा में सकारात्मक कार्य करने निर्देशित किया है। जिसके सुखद परिणाम मिल रहे हैं। जिले में किशोर-किशोरियों, माताओं और शिशुओं तथा स्कूली छात्र-छात्राओं का बेहतर स्वास्थ्य रहे और कुपोषण मुक्त जिला बनाने के लिए बेहतर एक्टिीविटी के साथ अच्छे पोषक आहार की जानकारी दी जा रही है तथा जिलेभर में कैम्प आयोजित कर बच्चों व किशोर-किशोरियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। स्कूली बच्चों को बेहतर पोषणयुक्त आहार खाने की शपथ दिलाई जा रही है तथा फायदे बताए जा रहे हैं। कुपोषण मुक्त बनाने के लिए पोषण अभियान के तहत जिले में अति गंभीर कुपोषित एवं कुपोषित बच्चे हैं उनका चिंहान्कन करते हुए उनकी 12 हफ्ते एक विशेष प्रोटोकॉल के तहत देखभाल की जाती है। आंगनवाड़ियों में पोषण बाटिकाओं का आयोजन किया जाता है। जिससे भोजन के अलावा जो भी सूक्ष्म पोषण होते है परिवारजनों को जानकारी मिल सके जिससे वह पोषणयुक्त रहे। जिले में पिछले 3 माह के भीतर 60 प्रतिशत से अधिक बच्चें कुपोषण से बाहर आ चुके हैं।


2 हजार से अधिक बच्चों की प्रोफाईलिंग की गई


कलेक्टर श्रीआर के निर्देशानुसार जिले में विद्यालयों में स्वास्थ्य शिविरों को आयोजन किया जा रहा है। इसके माध्यम से किशोर-किशोरियों में एनीमिया की जांच की जा रही है। स्वास्थ्य टीम द्वारा बच्चों के एंथ्रोपोमेट्रिक माप, हीमोग्लोबिन और रक्तचाप मापन के साथ नज़र का परीक्षण किया जाकर ब्लॉक स्तर पर भी कम हीमोग्लोबिन वाले बच्चों को आयरन सिरप भी दिया जा रहा है। साथ ही पोषण के महत्व के बारे में भी जागरूक किया जा रहा है। डॉ मुकेश प्रजापति ने बताया कि जिला चाइल्ड हेल्थ प्रोफाइल पर अब तक 2 हजार से अधिक छात्रों की प्रोफाइलिंग की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि किशोर किशोरियो को आईएफए की टेबलेट का सेवन कराया जा रहा है। इसके सेवन से एनीमिया को रोका जा रहा है। आईएफए (आयरन फोलिक एसिड) टेबलेट के खाने से किशोर, किशोरियों मंे खून की कमी एवं एनीमिया को कम करने में सहायक होती। 5 से 10 वर्ष तक के बच्चों को गुलाबी गोली, 10 से 19 वर्ष तक के बालक बालिकाओं को नीली गोली स्कूलों और आंगनवाड़ियों में खिलाई जाती है। इससे रक्त की कमी दूर होती है तथा बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।


मातृ और शिशु मृत्युदर में आई कमी


जिले में मातृ और शिशु मृत्यु दर को रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। गर्भवती महिलाओं का संस्थागत प्रसव होने तथा गर्भवती महिलाओं के रजिस्ट्रेशन के समय यदि कोई भी गर्भवती महिला खून की कमी से पीड़ित रहती है तो उसे आयरन की गोलियां एवं आयरन सुक्रोज लगवाया जाता है। जिससे मां एवं बच्चा सुरक्षित रहे। सशक्त नारी ,साक्षर और स्वस्थ्य सच्चा बच्चा के तहत गतिविधियो के माध्यम से सुपोषित आहार स्वच्छता और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी दी जा रही है। जिसमें रोजाना आयरन और विटामिन युक्त पोषण आहार, हरी पत्तेदार सब्जियों विभिन्न रंगों के फल सब्जियों का सेवन, खाना बनाने व खाने से पहले तथा शौच के बाद साबुन से अच्छी तरह हाथ धोनें, ढका हुआ पानी पीने आदि सलाह दी जा रही है।


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