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बच्चों के भविष्य में शिक्षा विभाग का अहम रोल: कलेक्टर छात्रावासों में पात्र एवं जरूरतमंद बच्चों को ही दाखिला मिले स्कूलों के टॉयलेट क्लीन रहे एवं शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो

 कलेक्टर छतरपुर श्री संदीप जी आर ने कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में सोमवार को शिक्षा विभाग के कार्यों, शिक्षण व्यवस्था की आगामी तैयारियों तथा आगे की पीढ़ी पर शिक्षा का पूरा फोकस रहे के संबंध में समीक्षा बैठक ली। बैठक में जिला शिक्षा अधिकारी, डीपीसी, बीआरसी, बीईओ एवं संबंधित अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।

कलेक्टर ने कहा कि हमारा फोकस केवल और केवल आगे की जो पीढ़ी है उस पर होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हमें संवाद की जरूरत है जिससे हम और बेहतर कार्य करेंगे। बच्चों के बेहतर भविष्य के निर्माण में मूलरूप से शिक्षा विभाग का अहम रोल होता है। उन्होंने सभी को अपनी जिम्मेदारी का ईमानदारी से निर्वहन करने के लिए निर्देशित किया।


विद्यालय एक विद्या का मंदिर है


स्वच्छता को अपनाने और नशे से दूर रहने की दिलाएं शपथ


कलेक्टर श्री जी आर ने कहा कि विद्यालय एक विद्या का मंदिर है। स्कूल की जमीन पर अगर कोई कब्जा करता है तो उसे सीधा जेल भेजेंगे। उन्होंने निर्देशित करते हुए कहा कि स्कूलों में या आसपास गंदगी, तम्बाकू तथा कोई भी अनावश्यक सामग्री आस पास न पड़ी रहे। जो बिल्डिंग जर्जर हो चुकी के उन्हें डिस्मेंटल करें।

कलेक्टर डीपीसी को निर्देशित किया कि सभी शालाओं में बच्चों को स्वच्छता के संबंध में एवं नशे से दूर रहने की शपथ दिलाएं। जिससे बच्चें तम्बाकू, बीड़ी, गुटखा जैसे नशीले पदार्थों से दूर रहें तथा उन्हें इससे होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में अवगत कराएं एवं उन्हें समझाइश दे की वह अपने माता पिता या उनके घर में जो भी सदस्य नशे का आदि हो उन्हें भी रोंके। उन्होंने कहा कि शिक्षक इसके लिए बच्चों को ट्रेन्ड करें। सभी को अपना शत् प्रतिशत देकर शालाओं की स्थिति बदलनी है। हम सभी को और अच्छा करने की जरूरत है।


पहले दिन से ही स्कूल आएं बच्चें


स्कूलों में रजिस्टर्ड बच्चों का सर्वे कराएं


कलेक्टर बच्चों की उपस्थिति के संबंध में चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षक विद्यालयों में रहे और ऑफिशिल वर्क के लिए कोई एक दिन निश्चित करलें। उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देशित किया कि जिले के सभी स्कूलों में रजिस्टर्ड बच्चों का सर्वे करवाएं कि कितने बच्चे आ रहें है और कितने बाहर है उनसे संपर्क स्थापित करें। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास रहे कि प्रत्येक बच्चा पहले दिन से ही स्कूल आए और सभी गणवेश में रहें। उन्होंने कहा कि बच्चें के स्कूल आने के प्रथम दिन पर उनके उत्साह के लिए स्कूल में खूशी का माहौल निर्मित करें। उन्होंने नई बन रही स्कूली बिल्डिंगों में बॉथरूम स्कूल के अंदर ही हो, जिससे उसका रेग्यूलरी मेंटेंनेंस होता रहे और स्वच्छ रहे। उन्होंने कहा कि पुराने डिजाइन को चेंज करें। उन्होंने सब इंजीनियर का निर्देशित किया है कि जो भी निर्माण कार्य होना है या हो रहा उनके बॉथरूम का निर्माण ऐसा हो कि ज्यादा दिनों तक क्रियाशील रहें।

कलेक्टर ने पाठ्यपुस्तक, गणवेश आदि कि समीक्षा करते हुए कहा कि सभी किताबें सीधे शालाओं में पहुंचे और बच्चों को शतप्रतिशत वितरित करें। कोई भी छात्र या छात्राएं बिना यूनीफॉर्म के न आएं और साफ सुथरे ड्रेस में आएं। उन्होंने कहा कि बच्चों के पेरेंट्स को बुलाएं एवं जरूरी समझाइश दें। कलेक्टर ने कहा कि छात्रावासों में पात्र एवं जरूरतमंद बच्चों को ही दाखिला मिले। उन्होंने बोर्ड पैटर्न पर सम्पन्न हुई 8वीं और 5वीं की परीक्षाओं के परीणामों की समीक्षा की और परीणाम बेहतर नहीं रहने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए शिक्षा के स्तर को और अधिक सुदृढ़ बनाने के निर्देश दिये।


बच्चों के हुनर को पहचानें


बेहतर शिक्षा के साथ स्वास्थ्य परख माहौल का करें निर्माण


रैम्प ऐसा हो कि दिव्यांग आसानी से चढ़ उतर सकें


कलेक्टर श्री जी आर ने कहा कि बच्चों के हुनर को पहचाने और उन्हें किस फील्ड में जाना है उसी हिसाब से मोटिवेट करें, उसी में हम सब की जीत है। उन्होंने जिले में स्मार्ट क्लासों के क्रियाशीलता की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि स्कूलों के टॉयलेट स्वच्छ रहें, पीने का शुद्ध पेय जल उपलब्ध हो, रैम्प अच्छा हो जिससे विकलांग बिना किसी के सपोर्ट के आसानी चढ़ उतर सकें। उन्हें किसी कि मदद की जरूरत न पड़ें। खेल का मैदान क्रियाशील हो, सभी स्कूलों में बॉउन्ड्री बनाएं। उन्होंने कहा कि बॉउन्ड्री को कम समय में पत्थरों से भी बना सकते है और तार फेंसिंग भी करवा सकते है तथा उसके अन्दर पौधरोपण करके बॉउण्ड्री को  कवर किया जा सकता है। उन्होंने कैम्प लगाकर किशोर बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण कराने और अच्छे खान पान के बारे में जानकारी देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि हमें बच्चों की बेहतर शिक्षा और उनके लिए एक स्वास्थ्य परख माहौल का निर्माण करना है।


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