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जलकुंभी से खेलमैदान दिखने वाले संकटमोचन तालाब में दिखने लगीं पानी की हिलोरें सामाजिक कार्यकर्ताओं की मेहनत से जलकुंभी हुई साफ, अब होगा सौंदर्यीकरण व वृक्षारोपण



✍️ पं. सौरभ तिवारी 🌻


      छतरपुर / कहा गया है "कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से  उछालों यारों" इसी पंक्ति को चरितार्थ सिद्ध किया है छतरपुर की समाजसेवी संस्थाओं व जागरूक लोगों ने संकटमोचन तालाब के सफाई अभियान में, जिसकी चर्चा शहर में तमाम लोग कर रहे है़ं । ज्ञात हो कि हमारे पूर्वजों ने शहर की जल आपूर्ति को दृष्टिगत रखते हुए अनेको जलस्रोतों का निर्माण कराया ताकि शहरवासियों को जलसंकट का सामना न करना पड़े लेकिन देखरेख के आभाव व जलस्रोतों के प्रति निष्क्रियता ने तालाबों को जलकुंभी, गंदगी व अतिक्रमण का शिकार बना लिया । 


         शहर के तालाबों की स्थिति को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी नगर म़डल के द्वारा शहर के प्राचीन संकटमोचन तालाब (रावसागर) की सफाई का बीड़ा उठाया गया, काम कठिन था लेकिन हौंसले बुलंद थे ,धीरे धीरे लोग जुड़ते गए, विभिन्न सामाजिक, धार्मिक व्यापारिक संगठनों व सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित अन्य लोगों ने इस स्वच्छता अभियान में अपनी आहुति दी प्रतिदिन सुबह श्रमदान करके अपने पसीने की बूंदों को बहाकर तालाब से जलकुंभी निकाली । इतना ही नहीं इन सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तालाब को शीघ्र साफ कराने हेतु आपस में धनराशि एकत्रित कर मजदूरों को भी लगाया जिसके फलस्वरूप जलकुंभी जल्द साफ होने लगी । निरंतर 15 दिन के अथक प्रयासों व श्रमदान के बाद मेहनत का नतीजा दिख रहा है । जहां तालाब जलकुंभी के कारण  एक खेलमैदान दिखने लगा था वहां पानी हिलोरें लेते दिखने लगा है । अब तालाब से लगभग पूरी जलकुंभी साफ हो चुकी है । आगामी समय में तालाब की स्वच्छता व सौंदर्यीकरण के लिए भी योजना तैयार की जा रही है ताकि शहर की धरोहर को संरक्षित किया जा सके । इसके साथ ही यदि एक इसी तरह सामाजिक सहयोग मिलता रहा तो गंदगी के अंबार बने ग्वालमगरा तालाब की भी सफाई की जा सकती है

      सरोवर हमारी धरोहर है इनका संरक्षण करना हमारा नैतिक दायित्व है इसलिए हमें अपने नैतिक दायित्वबोध को समझते हुए इन जलस्रोतों को बचाना होगा । पर्यावरण व जल संरक्षण को ध्यान में रखते हुए अपने शहर के जलस्रोतों व अन्य प्राकृतिक धरोहरों को सहेजने का प्रयास करना होगा ताकि आगे आने वाली पीड़ी शुद्ध प्राकृतिक हवा में सांस लें व भविष्य में जलसंकट व वातावरण के अन्य दुष्प्रभावों बची रहे ।






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