नरोत्तम मिश्र की चाणक्य बुद्धि का कायल है भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व कृष्णमोहन झा/
पिछले कई माहों से भाजपा की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की अधीरता से प्रतीक्षा की जा रही थी और यह भी सुनने में आ रहा था कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जब राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा करेंगे तो उसमें वैसा ही उलटफेर देखने को मिलेगा जैसा कि तीन माह पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किए गए केंद्रीय मंत्रिमंडल के पुनर्गठन में देखा गया था जब उन्होंने अपने मंत्रिमंडल के तेरह वरिष्ठ सदस्यों को उनके पदभार से मुक्त कर दिया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल में किए गए उस भारी उलटफेर को राजनीतिक विश्लेषकों ने प्रधानमंत्री मोदी का साहसिक कदम निरूपित किया था। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार के मुखिया के रूप में अपने गत सात वर्षों के कार्यकाल के दौरान अपनी सरकार में कभी इतना बड़ा उलटफेर कभी नहीं किया जिसने पार्टी नेताओं को ही नहीं बल्कि राजनीतिक पंडितों को भी अचरज में डाल दिया हो। अब उसी लाइन पर चलते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी गत दिवस पार्टी की जो नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी घोषित की है उसमें पार्टी के ऐसे बहुत से दिग्गज नेताओं को शामिल नहीं किया गया है जिन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अपने मनोनयन की पूरी उम्मीद थी परंतु नई कार्यकारिणी में अपना नाम न देखकर वे चकित रह गए हैं। अनेक राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में पार्टी के प्रति निष्ठावान और समर्पित उन नेताओं को शामिल किया है जिनका न केवल व्यापक जनाधार हो बल्कि पार्टी के लिए उनकी उपयोगिता भी असंदिग्ध हो। गौरतलब है कि कुछ माह केंद्रीय गृह मंत्री और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी जबलपुर में आयोजित एक सम्मेलन में कहा था कि भाजपा में काम के आधार पर संगठन के पदों पर नियुक्तियां की जाती हैं, इसके लिए किसी नेता की कृपा की आवश्यकता नहीं है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी अपनी कार्यकारिणी का गठन करते समय यही मानदंड तय किया था। एक ओर तो पार्टी लाइन से हटकर सार्वजनिक बयान देने वाले और केंद्र सरकार के फैसलों पर ही सवाल उठाने वाले अनेक दिग्गज नेताओं को नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्थान पाने से वंचित कर दिया गया और दूसरी ओर उन दिग्गज नेताओ को यह सम्मान नहीं मिल सका जो अब पार्टी के जनाधार के विस्तार और उसे मजबूती प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण योगदान करने की स्थिति में नहीं हैं। उत्तर प्रदेश के भाजपा सांसद वरुण गांधी ने विगत दिनों आंदोलन कारी किसानों के पक्ष में बयान बाजी करने के कारण राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अपने मनोनयन का दावा न केवल खुद कमजोर कर दिया बल्कि उनकी मां पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को इसकी कीमत चुकानी पड़ी। वैसे भी मेनका गांधी अपने विवादित बयानों के कारण पार्टी में हाशिए पर जा चुकी हैं। भाजपा के दिग्गज नेता डा सुब्रमण्यम स्वामी भी पिछले काफी समय से जिस तरह आर्थिक मुद्दों पर सरकार की आलोचना करते रहे हैं उसे देखते हुए पार्टी की नवीन कार्यकारिणी में उनके मनोनयन की संभावनाएं क्षीण ही प्रतीत हो रही थीं। भाजपा के दो शीर्ष नेताओं और पूर्व केंद्रीय मंत्री द्वय लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को पार्टी की न ई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी शामिल कर जेपी नड्डा ने पार्टी के लिए इन मूर्धन्य नेताओं के त्याग, तपस्या और समर्पण के प्रति पार्टी का सम्मान प्रदर्शित किया है जिसके वे निर्विवाद अधिकारी हैं।
भाजपा अध्यक्ष द्वारा घोषित नवीन कार्यकारिणी में मध्यप्रदेश के जिन दिग्गज नेताओं को शामिल किया गया है उनमें केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर , केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और राज्य के गृह मंत्री डा नरोत्तम मिश्रा के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं। इनमें नरेन्द्र सिंह तोमर केंद्रीय मंत्री के रूप में अपनी पहली पारी से ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विश्वासपात्र मंत्री रहे हैं । ज्योतिरादित्य सिंधिया ने लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व भाजपा में शामिल होकर राज्य में भाजपा के पुनः सत्तारोहण का मार्ग प्रशस्त किया था इसलिए उन्हें न केवल केंद्र सरकार में शामिल होने का गौरव मिला बल्कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी मनोनीत किया है।राज्य के गृह मंत्री और पार्टी के कद्दावर नेता डा नरोत्तम मिश्र के पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मनोनयन एक बार फिर यह प्रमाणित हो गया है कि गृहमंत्री मिश्र न केवल मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विश्वासपात्र सहयोगी हैं अपितु प्रधानमंत्री मोदी, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी उनकी चाणक्य बुद्धि और राजनीतिक चातुर्य के कायल हो चुके हैं। यह निर्विवाद सत्य है कि मध्यप्रदेश में गत वर्ष जो सत्ता परिवर्तन हुआ उसमें डा नरोत्तम मिश्र ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और तब राजनीति के पंडितों की भी यही राय थी कि नरोत्तम मिश्र की सक्रिय भूमिका के बिना मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन की कल्पना नहीं की जा सकती थी । गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात विधानसभाओं के पिछले चुनावों में भी डा नरोत्तम मिश्र को पार्टी हाईकमान ने प्रचार अभियान में अहम जिम्मेदारी सौंपी थी जिसे उन्होंने बखूबी निभाया जिसने उन्हें भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के और निकट ला दिया । प्रदेश की राजनीति में डा नरोत्तम मिश्र का कद इतना ऊंचा हो चुका है कि शिवराज सरकार के महत्त्वपूर्ण फैसलों में उनकी सहमति अपरिहार्य मानी जाती है। इसमें दो राय नहीं हो सकती कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उनका मनोनयन कर उन्हें जो सम्मान दिया है उसके लिए आवश्यक सारी अर्हताएं उनके अंदर कूट कर भरी है इसीलिए मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार और पार्टी विधायकों में से केवल नरोत्तम मिश्र राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मनोनीत किए गए हैं। भाजपा की नई कार्यकारिणी में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन अपने लिए स्थान सुरक्षित करने में असफल रहे जबकि कैलाश विजयवर्गीय राष्ट्रीय महासचिव के रूप में कार्यकारिणी से जुड़े हुए हैं। जेपी नड्डा द्वारा घोषित नवीन कार्यकारिणी में सभी प्रदेशों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया गया है और क्षेत्रीय संतुलन का भी पूरा ध्यान रखा गया है जिसका पहला इम्तहान अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब विधानसभाओं के चुनावों में होगा।
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