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भविष्य की आहट / डा. रवीन्द्र अरजरिया फिर उजागर हुआ फिल्म इंडस्ट्री का ड्रग्स कनेक्शन

 नशे की आदत डालने वालों के अंतर्राष्ट्रीय गिरोहों ने देश को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। इन गिरोहों के साथ काम करने वालों में अनेक विधाओं की चर्चित हस्तियों के नाम उजागर हो रहे हैं। फिल्म जगत की चकाचौंंध से अंधे हो चुके लोगों को अब इसी क्षेत्र की जानीमानी हस्तियां नशे के दलदल में धकेल रहीं हैं। गत रात मुम्बई में एक क्रूज शिप में नारकोटिक्स कन्ट्रोल ब्यूरो ने छापा मारकर 3 महिलाओं सहित 13 लोगों को हिरासत में लेने की खबर फैली थी, जिस पर आज ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेडे ने 8 लोगों से पूछताछ करने की बात स्वीकारी। क्रूज शिप में जो ड्रग्स की पार्टी चल रही थी उसमें मुम्बई के अलावा देश की राजधानी दिल्ली के भी अनेक नामची लोगों ने भागीदारी थी। जोनल डायरेक्टर के अनुसार हिरासत में लिये गये लोगों में शाहरूख खान के बेटे आर्यन खान सहित अभिनेता अरबाज मर्चेंट, मुनमुन धमेचा, इश्मीत सिंह, विक्रांत छोंकर, दिल्ली की मशहूर फैशन डिजाइनर नूपुर सारिका, हेयर स्टाइलिस्ट गोमित चोपडा, मोहक जायसवाल शामिल हैं। गोमित चोपडा के साथ नूपुर सारिका मुम्बई आई थी। इस छापामारी के बाद से एक बार फिर फिल्मों के नामची लोगों के चारों तरफ आरोपों का शिकंजा कसने लगा। आश्चर्य तो तब हुआ जब सुशांत सिंह की मौत से जुडे ड्रग्स कनेक्शन की आरोपी रिया चक्रवर्ती और उसके भाई शौविक को बचाने के लिये पैरवी करने वाले वकील सतीश मानशिंदे इस बार शाहरूख खान के बेटे आर्यन खान को बचाने के लिए दौडभाग करने लगे। पहले भी जब फिल्म जगत से जुडे लोगों के ड्रग्स कनेक्शन पर मीडिया ने इंवेस्टीगेशन करके रिपोर्टिंग करने की कोशिश की थी तब आरोपियों और उनके सहयोगियों ने खुलकर हायतोबा मचाई थी। फिर अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा का मामला सामने आया। नशे के साथ अश्लील फिल्में बनाने की परतें खुलने लगीं तो फिर चीख पुकार मचने लगी थी और अब जब शाहरूख खान के साहबजादे ड्रक्स कनेक्शन में पकडे गये तो फिर वही लोग गला फाडने लगे जो अंतर्राष्ट्रीय ड्रग्स माफियों के इशारों पर मौलिक अधिकारों की दुहाई देते हैं, इंडस्ट्री को बदनाम करने का तर्क उठाते हैं और आरोपियों के कथित कृत्यों पर पर्दा डालने की कोशिश करते हैं। फिल्मी लोगों के साथ अन्य विधाओं के चयनित लोग भी किन्हीं खास कारणओं से खडे हो जाते हैं। राजनीति से जुडे कुछ चेहरे भी पर्दे के पीछे से मामले को दबाने की जुगाड करने लगते हैं। इस बार भी ऐसा ही माहौल बनने लगा है। कुछ समय और गुजरने दीजिये यदि मीडिया ने ज्यादा गहराई में जाने की कोशिश की तो फिर रिया से जुडे अध्याय की पुनरावृत्ति होते देर नहीं लगेगी। इस तरह के मामलों को बारीकी से समझने के लिए हमने कुछ जानकार लोगों से सम्पर्क किया, तो स्पष्ट हुआ कि ड्रग्स के इस काले कारोबार को संचालित करने के लिए दो भागों को समानान्तर सक्रिय किया जाता है। एक भाग है जो ड्रग्स की सप्लाई चेन तैयार करता है। इस चेन के लिए बेरोजगारों से लेकर जल्दी से जल्दी धनवान बनने की ललक रखने वालों को चिंहित किया जाता है तथा स्टाक रखने के लिए किसी रसूकदार व्यक्ति को तलाशा जाता है। उस रसूकदार व्यक्ति के संबंध राजनीति से लेकर अपराध जगत तक के लोगों से होना आवश्यक होता है। दूसरे भाग में नशे की आदत डालने वालों का तंत्र विकसित किया जाता है। इस भाग में संभ्रान्त परिवार की बिगडी औलादों को शामिल किया जाता है। परिवार की प्रतिष्ठा के साथ जुडे इन लोगों के साथ उठने-बैठने के लालच में अन्य लोग शामिल हो जाते हैं। इन्हीं जानेमाने परिवारों के सदस्यों की पहल पर अन्य प्रतिष्ठित परिवारों के लोग भी शामिल हो जाते हैं। फिर शुरू होती है मुफ्त में नशे की पार्टियों का दौर। इन पार्टियों में सप्लाई चेन से माल पहुंचाया जाता है। धीरे-धीरे इन पार्टियों का विस्तार करते हुए इसे प्रतिष्ठित साधन के रूप में उपयोगी बना दिया जाता है। पहले मुफ्त में नशे की आदत डाली जाती है फिर जिन्दगी भार खून चूसने का सिलसिला चल निकलता है। देश की सांस्कृतिक विरासत पर सीधे चोट करने की गरज से फिल्म नगरी ने पहले अपने कथानकों से भावनात्मक घात किया, फिर फैशन के नाम पर नग्नता परोसी, बाद में अवैध संबंधों से लेकर तस्करी तक के गुर सिखाये। गलत कामों के माध्यम से कुबेरपति बनने वाली कहानियों ने परम्परागत मूल्यों की हत्या कर दी।  फटे जीन्स से लेकर हेयरस्टाइल तक के प्रयोगों ने अधिकांश युवाओं को गुमराह कर दिया। अपराध का ग्राफ नित नई ऊंचाइयां छूने लगा है। इतिहास गवाह है कि जिस देश में संयुक्त परिवारों की मर्यादायें हर विषम परिस्थितियों से निपटने की ताकत रखती थीं वहां आज पारिवारिक कलह का दावानल ठहाके लगा रहा है। यह कहना गलत नहीं होगा कि देश की भावी पीढी राजनीति से उतनी प्रभावित नहीं होती जितना फिल्मों से होती है। फिल्मी दुनिया की वास्तविक कहानी पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है। चन्द लोगों, चन्द खानदानों और चन्द आकाओं के कब्जे में कैद पूरी इंडस्ट्री वही करती है, जो उनसे कराया जाता है। इसी लाबी ने फिल्मी दुनिया में ड्रग्स को अतिआवश्यक बना दिया है। ड्रग्स के मकडजाल को तोडने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो सहित अन्य विभागों को इसी तरह के बहुआयामी कदम उठाने होंगे तभी इंटरनेशनल ड्रग्स रैकेट को नस्तनाबूद किया जा सकेगा और बेनकाब हो सकेंगे मुखौटो ओढे राष्ट्रद्रोही। चर्चित फिल्मकार शाहरूख खान के बेटे पर लगे आरोपों से एक बार फिर उजागर हुआ फिल्म इंडस्ट्री का ड्रग्स कनेक्शन। इसे हल्के में कदापि नहीं लिया जाना चाहिये। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नई आहट के साथ फिर मुलाकात होगी।


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