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लेख:- डॉ.अनुराग चौरसिया (खेल वैज्ञानिक राष्ट्रीय खेल संस्थान ) अशिक्षा , कुपोषित शिशु ।। महिलाओं में शिक्षा का अभाव नवजात के कम वजन का प्रमुख कारण।

 जन्म के समय बच्चे का कम वजन का पैदा होना अर्थात कुपोषित होना हमारे देश के लिए एक गंभीर समस्या बनकर सामने आ रही है अगर इस पर  शासन प्रशासन मिलकर समय पर एकनिष्ठता से कार्य नही करेंगी तो आने वाले समय मे यह और भी भयावह रूप ले सकती है क्योंकि किसी भी राष्ट्र का भविष्य जन्म लेने वाले प्रत्येक नवजात पर ही टिका होता है ।  इस विषय पर कई शोध किये गए है हाल ही में डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के रिसर्च स्कॉलर अनुराग चौरसिया जो कि वर्तमान में राष्ट्रीय खेल संस्थान में खेल वैज्ञानिक के पद पर पदस्थ है,  ने मानव विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष राजेश गौतम के निर्देशन में  व डॉ. अभय टिर्की के साथ एक शोध पत्र प्रस्तुत किया जो कि इंडियन जॉर्नल ऑफ फिजिकल एंथ्रोपोलॉजी एंड ह्यूमन जेनेटिक्स  में प्रकाशित हो चुका है 

जिसमे इस विषय पर प्रकाश डालते हुए यह बताया गया कि किस तरह गर्भधारण के समय महिलाओं में अशिक्षा के चलते बच्चे कम वजन के पैदा होते है ।

शोध में पाया गये मुख्य बिंदु निम्नलिखित है।

# जन्म के समय कम वजन शिशु मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण है। भारत जैसे देश में,

जन्म के समय कम वजन की व्यापकता को कम करना अभी भी सामाजिक-आर्थिक विषमता होने के कारण एक चुनौती है

# इस अध्ययन में, 70.8% बच्चे सामान्य जन्म के वजन के साथ पैदा हुए, 

29.2% बच्चे सामान्य से कम वजन के पाये गये

# नवजात शिशुओं का औसत जन्म भार नवजात कन्या का वजन क्रमशः 2.9 और 2.5 किग्रा था

# महिलाओं की निरक्षरता नवजातों के वजन का एक निर्धारक है।

# जन्म के वक़्त, शिशु के वजन मे कमी होना (LBW) शिशु रुग्णता मृत्यु दर के लिए प्रमुख जोखिम कारक है, जिसके परिणामस्वरूप विश्व भर में बच्चों में कुल मृत्यु दर का 36% (<5 वर्ष की आयु), प्रति वर्ष लगभग 4 मिलियन मौतें होती हैं

# पिछले अध्ययनों की समीक्षा भी इंगित करता है कि जैविक कारक, जैसे गर्भकालीन आयु, मातृ स्वास्थ्य, शिक्षा,

मां की समता, जन्मे हुए बच्चे का लिंग, जन्म के वजन को प्रभावित करता है

# LBW जीवित रहने की प्रत्यन्शा को निर्धारण करने वाला एकल सबसे महत्वपूर्ण कारक है

शिशु मृत्यु दर अन्य सभी बच्चों की तुलना में कम वजन वाले सभी शिशुओं के लिए लगभग 20 गुना अधिक पायी गयी

# LBW का सीधा संबंध तत्काल, दीर्घकालिक विकास और समग्र कल्याण के साथ पाया गया

# अध्ययन द्वारा यह सुझाव दिए गए कि नवजात शिशुओं की दर को कम करने हेतु महिलाओं की शिक्षा, गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त आराम व पोषण को ध्यान में रखा जाए तो काफी हद तक इस दर को कम किया जा सकता है

# गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की 19 वर्ष से कम आयु व 35 वर्ष से अधिक आयु भी महत्वपूर्ण नकारात्मक कारक सिद्ध पायी गयी

# कम वजन की यह दर शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक पायी गयी

# अध्ययन के दौरान यह दर 29.2 % तक पायी गयी।

# वर्तमान निष्कर्षों से पता चला है कि LBW की व्यापकता 29.2% थी, जो कि

बहुत उच्च। यहाँ LBW के निर्धारकों का पता लगाने का प्रयास किया गया था। विश्लेषण किया गया था जो दर्शाता है कि माताओं की शिक्षा

LBW के साथ महत्वपूर्ण संबंध था

# LBW अभी भी अधिकांश निम्न व मध्यम आय वाले देश में प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक बनी हुई है

# लड़कियों की शिक्षा में वृद्धि के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक उत्थान के द्वारा LBW के प्रसार को कम किया जा सकता है

# बुंदेलखंड में LBW की व्यापकता 29.2 तक पायी गयी, जबकि मध्य प्रदेश मैं यह दर 21.9 फीसदी है जिससे पता चलता है कि बुंदेलखंड में LBW का प्रसार औसत राज्य की तुलना में अधिक है ।


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