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एडीएम को प्रताड़ित करने की खबर निराधार एवं भ्रामक स्व-विचार धारणा के आधार पर प्रकाशित की गई खबर अधिकारियों के बयानों, तथ्यों का उल्लेख नहीं स्वैच्छिक रूप से वीआरएस लेने का आवेदन मेल पर भेजा

 कलेक्टर श्री शीलेन्द्र सिंह ने कहा कि कतिपय समाचार पत्रों एवं सोशल मीडिया में एडीएम श्री प्रेम सिंह चैहान के संबंध में ‘"प्रताड़ना से तंग आकर आदिवासी अपर कलेक्टर ने लिया वीआरएस" शीर्षक नाम से प्रकाशित समाचार भ्रामक एवं असत्य है। 

 

उन्होंने कहा कि एडीएम को प्रताड़ित करने की खबर निराधार एवं भ्रामक होने के साथ-साथ तथ्यों पर आधारित नहीं है बल्कि स्व-विचार एवं मिथ्या धारणा पर आधारित है।


श्री प्रेम सिंह चैहान के संबंध में आदिवासी अपर कलेक्टर को प्रताड़ित किए जाने जैसे शब्द का उपयोग करना खबर को ज्वलंत बनाने के उद्देश्य से किया गया है। प्रकाशित समाचार न सिर्फ दूषित मानसिकता को दर्शाता है बल्कि सोची समझी कूटनीति धारणा है।


कुल मिलाकर प्रताड़ना के संबंध में प्रकाशित खबर तथ्यों के अभाव में निराधार ही नहीं अपितु फे्रम्ड एवं एक पक्षीय विचार होने से शत-प्रतिशत मिथ्या है।  

समाचारों में उल्लेखित यह कथन की एडीएम श्री प्रेम सिंह चैहान ने कलेक्टर छतरपुर की प्रताड़ना से तंग होकर वीआरएस लिया है सही नहीं है।


एडीएम पी.एस. चैहान द्वारा 12, 13 एवं 14 जनवरी के लिए उनके बच्चे के अस्वस्थ्य होने के कारण का उल्लेख करते हुए आकस्मिक अवकाश लिया गया था और मुख्यालय से बाहर गए थे। 

एडीएम चैहान को 15 जनवरी को उपस्थित होना था, लेकिन उनके द्वारा बच्चे के अस्वस्थ्य होने के कारण का हवाला देते हुए अवकाश बढ़ाने के संबंध में मेल पर सूचना दी गई। एडीएम चैहान द्वारा मंगलवार 19 जनवरी की शाम को मेल पर वीआरएस लेने के संबंध में विधिवत रूप से प्रारूप 28 पर भेजा गया।  

 

एडीएम की प्रताड़ना के समाचार के साथ ही एसडीएम लवकुशनगर को निलंबित कराने का समाचार प्रकाशित किया। लवकुशनगर के एसडीएम श्री अविनाश रावत निर्धारित मुख्यालय से बिना बताए गायब रहे। उनके द्वारा सिविल सेवा नियम का उल्लंघन किया गया, जिसके आधार पर संभागायुक्त द्वारा कार्यवाही की गई। यह कार्यवाही प्रताड़ना में नहीं अपितु एसडीएम द्वारा बरती गई लापरवाही का परिणाम है। 

इस तरह से लवकुशनगर एसडीएम के संबंध में भी प्रकाशित खबर तथ्यों पर आधारित नहीं होकर पूर्णतः निराधार, असत्य एवं भ्रामक है और पीत पत्रकारिता के विपरीत एक पक्षीय रूप से प्रकाशित की गई है।


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