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राजनीति की विषय वस्तु नहीं हैं पद्म सम्मान कृष्णमोहन झा/

 केंद्र सरकार ने 73वें  गणतंत्र दिवस के पुनीत अवसर पर  पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और  जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व राज्य सभा सदस्य गुलाम नबी आजाद को पद्मभूषण सम्मान प्रदान करने की घोषणा की है परंतु बुद्ध देव भट्टाचार्य ने यह सम्मान स्वीकार करने से इंकार कर दिया है और उनकी पार्टी ने उनके इस फैसले का समर्थन किया है जबकि गुलाम नबी आजाद द्वारा यह सम्मान सहर्ष स्वीकार कर लिए जाने से कांग्रेस का एक वर्ग खफा दिखाई दे रहा है यद्यपि कांग्रेस के अनेक वरिष्ठ नेताओं ने गुलाम नबी आजाद को पद्मभूषण सम्मान दिए जाने का स्वागत किया है। मनमोहन सरकार में मंत्री रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश की प्रतिक्रिया से यह ध्वनि निकलती है कि  बुद्ध देव भट्टाचार्य के समान ही  गुलाब नबी आजाद को पद्मभूषण सम्मान लेने से इंकार कर देना चाहिए । गौरतलब है कि 40 वर्षों के संसदीय कार्य काल के बाद राज्य सभा से  गुलाम नबी आजाद की विदाई के वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी न केवल भावुक हो गए थे बल्कि उन्होंने यह भी कहा था कि हम गुलाम नबी आजाद को अधिक समय तक सदन से बाहर नहीं रहने देंगे। प्रधानमंत्री के इस कथन के राजनीतिक निहितार्थ भी निकाले गए थे। जयराम रमेश कहते हैं कि बुद्ध देव भट्टाचार्य आजाद रहना चाहते हैं न कि गुलाम। अतीत में कांग्रेस की प्रवक्ता रह चुकी शिव सेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी  ने जयराम  रमेश की इस प्रतिक्रिया पर ऐतराज जताते हुए कहा है कि पद्म पुरस्कार अस्वीकार कर देने पर कि सी को आजाद बताना और स्वीकार कर लेने पर किसी को गुलाम बताना यह साबित करता है कि इन सम्मानों के प्रति आपके विचार कितने सतही हैं। जयराम रमेश के बयान का  मतलब यही निकाला जा रहा है कि आगे चलकर गुलाम नबी आजाद भाजपा के खेमे में शामिल हो सकते हैं यद्यपि आजाद यह कह चुके हैं कि जिस दिन कश्मीर में काली बर्फ गिरने लगेगी उसी दिन वे भाजपा में शामिल होने की सोच सकते हैं । उधर दूसरी ओर गुलाम नबी आजाद को पद्मभूषण सम्मान देने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करने वाले कांग्रेस नेताओं की सूची में लगभग वही नाम शामिल हैं जो अतीत में एकाधिक बार कांग्रेस पार्टी में पूर्णकालिक अध्यक्ष चुने जाने की मांग कर चुके हैं। इन सभी नेताओं ने आजाद को पद्मभूषण सम्मान दिए जाने के केंद्र सरकार के फैसले को उनकी योग्यता और जनसेवा के क्षेत्र में किए गए योगदान का सम्मान निरूपित किया है। आजाद ने उन्हें पद्मभूषण सम्मान देने के लिए केंद्र सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया है। कांग्रेस  पार्टी में पूर्णकालिक अध्यक्ष के चुनाव की मांग को लेकर मुहिम छेड़ने वाले जी-23 गुट के एक वरिष्ठ सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने इस बात पर अफसोस व्यक्त किया है कि जब देश गुलाम नबी आजाद की सार्वजनिक सेवाओं को मान्यता दे रहा तब पार्टी को उनकी सेवाओं की आवश्यकता नहीं है। कुछ ऐसे ही विचार शशि थरूर, आनंद शर्मा आदि नेताओं ने भी व्यक्त किये हैं और गुलाम नबी आजाद को इस गौरवशाली सम्मान का सही हकदार बताया है। गौरतलब बात यह है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुलाम नबी आजाद को पद्मभूषण सम्मान देने के केंद्र सरकार के फैसले पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है लेकिन उनके मौन का यही मतलब निकाला जा रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व को प्रसन्नता तो तब होती जबकि गुलाम नबी आजाद भी बुद्धदेव भट्टाचार्य का अनुसरण कर पद्मभूषण सम्मान स्वीकार न करने की घोषणा कर देते।

           इसमें कोई संदेह नहीं कि गुलाम नबी आजाद को पद्मभूषण सम्मान के लिए चुनकर मोदी सरकार ने सही कदम उठाया है जिसका समूची कांग्रेस पार्टी को स्वागत करना चाहिए । गुलाब नबी आजाद कांग्रेस के उन  दिग्गज नेताओं में अग्रणी माने जाते हैं जिन्होंने पार्टी में अनेक महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी संभालते हुए उसे मजबूत बनाने में कभी कोई कसर बाकी नहीं रखी परंतु कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं के द्वारा पार्टी में पूर्णकालिक अध्यक्ष के चुनाव हेतु चलाई गई मुहिम में शामिल होने की उन्हें यह कीमत चुकानी पड़ी कि गत वर्ष फरवरी में उनका राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद पार्टी ने उन्हें पूरी तरह हाशिए पर डाल दिया । कांग्रेस में इसी उपेक्षा का शिकार वे सभी वरिष्ठ पार्टी नेता हो रहे हैं जो पार्टी की मजबूती के पूर्णकालिक अध्यक्ष के चुनाव की मांग करते रहे हैं। इसका परिणाम यह हुआ है कि 137 साल पुरानी पार्टी एक छोटे-से दायरे में सिमट कर रह गई है। गुलाब नबी आजाद को पद्मभूषण सम्मान देने के केंद्र सरकार के फैसले के  राजनीतिक  निहितार्थ खोजने के बजाय कांग्रेस पार्टी को इस बात पर गौरवान्वित होना चाहिए कि उसके एक वरिष्ठ नेता की उल्लेखनीय सेवाओं का केंद्र सरकार ने बिना किसी भेदभाव के उचित सम्मान किया है। गुलाब नबी आजाद को पद्मभूषण सम्मान के लिए चुना जाना दरअसल कांग्रेस पार्टी के गौरव का विषय है।यह भी आश्चर्यजनक है कि  पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार को भी राज्य की पूर्ववर्ती वाममोर्चा सरकार के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य को पद्मभूषण सम्मान देने के केंद्र सरकार के फैसले में राजनीति दिखाई दे रही है । तृणमूल कांग्रेस को ऐसा लग रहा है कि केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा बुद्धदेव भट्टाचार्य को पद्मभूषण सम्मान देकर उनकी पार्टी के वोट हासिल करना चाहती है। अच्छा होता कि सभी राजनीतिक दल इन सम्मानों को  राजनीति की विषय वस्तु न बना कर इन्हें विशुद्ध सम्मान के रूप में देखते। मोदी सरकार पर यह आरोप लगाना तो उचित नहीं होगा कि वह पद्म पुरस्कार देने में किसी तरह का भेदभाव कर रही है । केंद्र में मोदी सरकार के गठन के बाद ऐसे बहुत से निस्पृह समाजसेवकों को पद्म सम्मान दिए हैं जो बिना किसी प्रचार की लालसा समाज सेवा में जुटे हुए थे । उन्होंने तो  शायद पद्म पुरस्कारों के बारे में भी कभी नहीं सुना होगा न ही उन्हें यह पता होगा कि समाज और राष्ट्र के लिए उनकी स्तुत्य सेवाओं ने उन्हें प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कार का अधिकारी बना दिया है । मोदी सरकार ने ऐसी अनेकों विभूतियों को गत वर्षों में पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया है।  अतः  पद्म पुरस्कारों को लेकर कोई भी छिद्रान्वेषण का प्रयास उचित नहीं माना जा सकता । अच्छा होगा कि सभी राजनीतिक दल इन्हें राजनीतिक नजरिए से देखने से परहेज़ करें।


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