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स्वस्थ जीवनशैली स्वस्थ जीवन की आवश्यकता -वार्ष्णेय

 आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव और देश भर में प्रवास कर स्वस्थ भारत की परिकल्पना के साथ कार्य करने वाले  डॉ अशोक  कुमार वार्ष्णेय    स्वस्थ व्यक्ति स्वस्थ परिवार स्वस्थ ग्राम स्वस्थ राष्ट्र विषय पर आयोजित परिचर्चा में मुख्य वक्ता के रूप में अपनी बात रखते हुए कहा“ कोरोना में आयुष मंत्रालय के द्वारा जारी एडवाइजरी का ही प्रभाव व्यक्तिगत जीवन से लेकर वैश्विक जीवन तक पड़ा है ,यह सभी चीजें हमारी सनातन संस्कृति से जुड़ी हुई हैं भविष्य में भी इसी प्रकार की व्यवस्था कारगर होगी क्योंकि इसके पालन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता  बढ़ती हैं वैक्सीन स्पेसिफिक होने के कारण उसका प्रभाव कम होता है हमें आने वाले भविष्य में अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए प्रतिदिन सुबह जल्दी उठना, योग, घर का भोजन ,भाप हल्दी दूध का सेवन नाक में तेल, पर्याप्त पानी ,रेशेदार भोजन ग्रहण करना होगा |पुरातन काल में भी दैनिक जीवन में इन्हीं बातों को अमल में लाकर स्वास्थ्य को बेहतर रखने के प्रयास किए जाते रहे हैं |संगठन सचिव ने कहा कि कोविड-19 के संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए आरोग्य भारती ने देशभर में समाज को जागरूक करने के उद्देश्य घर-घर में सूखा और तैयार काढ़ा का वितरण किया |ऑनलाइन योग क्लास के माध्यम से देश के लाखों लोगों को योग से जागरूक कराया |इसके अतिरिक्त देशभर के विशेषज्ञों से ऑनलाइन माध्यमों से लोगों को जोड़ने और स्वस्थ रहने के उपायों की जानकारी दी आरोग्य भारती के कार्यकर्ताओं ने खास तौर पर मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ राजस्थान गुजरात हरियाणा हिमाचल प्रदेश जम्मू कश्मीर तेलंगाना झारखंड बिहार उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में समाज को जागरूक करने हेतु महत्वपूर्ण कार्य किया है जो निरंतर जारी है|

       कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद मध्य प्रदेश शासन के स्पेशल डीजी डॉ राजेंद्र प्रसाद मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा की आहार और व्यवहार दो महत्वपूर्ण कारक है हमारे स्वास्थ्य को संतुलित रखने में इसके साथ ही प्रकृति और पुरुष इन दोनों का संतुलन अत्यंत आवश्यक है |और दोनों एक दूसरे के पूरक हैं जब हम प्रकृति के अनुरूप व्यवहार करते हैं ,हमारा जीवन सरलता से व्यतीत होता है लेकिन जब हम प्रकृति विरुद्ध कार्य करते हैं तो प्रकृति भी हमारे विरोध में हो जाती है | पुरातन समय में हमारे राष्ट्र में एलोपैथिक व्यवस्था नहीं थी और हम आहार व्यवहार और विचार के माध्यम से अपने स्वास्थ्य को संतुलित रखते थे नियम, संयम ,व्यायाम, प्राणायाम इनके माध्यम से हम शरीर को नियंत्रित कर आधुनिक मेडिसिन से बच सकते हैं इसके साथ ही हम ब्रम्ह ज्ञान की तरफ आगे बढ़ सकते हैं| स्वस्थ व्यक्ति स्वस्थ परिवार स्वस्थ ग्राम और स्वस्थ राष्ट्र की परिकल्पना पुरातन पद्धति जिसे आज विश्व में मान्यता मिली है हम विश्व गुरु की दिशा में आगे बढ़े हैं इस माध्यम से ही पूरी हो सकेगी |कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन राजधानी के जाने-माने चिकित्सक और आरोग्य भारती के महानगर प्रमुख अभिजीत देशमुख ने किया|




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