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पीड़ित मानवता की सेवा का दुर्लभ दृष्टांत कृष्णमोहन झा/

 विगत कुछ दिनों से जारी भारी बर्षा ने देश के अनेक राज्यों में भयावह बाढ़ की स्थिति निर्मित कर दी है। इन्हीं राज्यों में से एक मध्यप्रदेश के अनेक शहरी और ग्रामीण इलाकों में  बाढ़ ने लोगों का जीवन दूभर कर दिया है। इन इलाकों में बाढ इतना विकराल रूप धारण कर चुकी है कि लोग पेड़ों और घरों की छतों पर चढ़ कर अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं। मध्यप्रदेश सरकार इन बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है । शिवराज सरकार द्वारा बाढ़ग्रस्त इलाकों में बड़े पैमाने पर चलाए जा रहे राहत कार्यों की सतत निगरानी की जिम्मेदारी राज्य के कर्मठ और संवेदनशील गृहमंत्री डा नरोत्तम मिश्र ने स्वयं अपने कंधों पर ओढ ली है।  बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में तैनात शासकीय  अधिकारियों एवं कर्मचारियों से   गृहमंत्री  न केवल पल पल की जानकारी ले रहे हैं अपितु स्वयं अपनी जान जोखिम में डालकर बाढ़ में फंसे लोगों की जान बचाने की मुहिम में जुट गए हैं। गृहमंत्री बाढ़ ग्रस्त इलाकों में घुटनों तक भरे हुए पानी में पैदल चलकर वहां फंसे लोगों को भरोसा दिला रहे हैं कि इस भयावह आपदा की  घड़ी में सरकार उनके साथ है और  उन्हें बाढ़ की विभीषिका से बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र की इस संवेदनशीलता और सहृदयता ने केवल मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि सारे देश का ध्यान आकर्षित किया है। गृहमंत्री की इस अनुपम संवेदनशीलता और साहस की सराहना विपक्ष के नेता भी कर रहे है। उल्लेखनीय है कि अतीत में भी  राज्य के किसी इलाके में दैवी आपदा के कारण  मुसीबत में फंसे लोगों को तत्काल मदद पहुंचाने के लिए नरोत्तम मिश्र की तत्परता उन्हें भूरि भूरि प्रशंसा का हकदार बना चुकी है परंतु उन्होंने हमेशा विनम्रतापूर्वक  केवल एक ही बात कही है कि पीड़ित मानवता की सेवा के लिए जो कुछ भी उन्होंने किया वह उनका फर्ज था। गौरतलब है कि अतीत में जब राज्य के मुख्यमंत्री पद   की बागडोर स्वर्गीय श्री बाबूलाल गौर के पास थी तब भी  सतना जिले में आई भयावह बाढ में फंसे लोगोें की तकलीफों ने उन्हें इसी तरह  द्रवित कर दिया था और कटनी  रीवा के प्रभारी मंत्री के रूप में उन्होंने बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखी थी। जब भी वे मुसीबत में फंसे लोगों की मदद करते हैं तो उनके मुख मंडल पर जो सुकून परिलक्षित होता है वही नरोत्तम मिश्र के प्रेरक व्यक्तित्व की असली पहचान है। वही अनिर्वचनीय  सुकून  कल भी उनके मुखमंडल की आभा को द्विगुणित हो रहा था जब  दतिया जिले के कोटरा गांव में उन्होंने कुछ बाढ़ पीड़ितों की प्राण रक्षा के अपनी जान जोखिम में डालने में भी कोई संकोच नहीं किया।बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के प्रयास में वे स्वयं बाढ़ के पानी में फंस गए परन्तु उस घड़ी में  भी बाढ़ पीड़ितों को  सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना उनका सर्वोपरि धर्म था। पहले उन्होंने पंचायत भवन की छत पर  मदद की आस लगाए बैठे एक परिवार के सभी  9 सदस्यों को हेलीकॉप्टर से लिपट कराकर सुरक्षित स्थान पर भिजवाया उसके बाद वे स्वयं एयरलिफ्ट के जरिए  बाढ़ग्रस्त क्षेत्र से  सुरक्षित ऊपर आए। नरोत्तम मिश्र बताते हैं कि उन्हें जब कोटरा गांव में एक भवन की छत पर एक परिवार के 9 सदस्यों के फंसे होने की सूचना मिली तब उनके मन में एक धुन थी कि हर हालत में वे उन सभी को जल्द से जल्द सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की व्यवस्था करेंगे। हेलीकाप्टर आने में देर लगने की संभावना थी तो अपने गनमैन के साथ एक नाव में ही कोटरा गांव के लिए रवाना हो गए। नरोत्तम मिश्र बताते हैं कि रास्ते में पहले  नाव पंक्चर हो गई और और बाद में उस पर एक पेड़ आ गिरा परंतु उस समय उन्हें केवल एक ही चिंता सता रही थी कि हर हालत में पीड़ित परिवार को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना है इसलिए चोटिल होने के बावजूद चार चार फुट पानी के बीच में से चलते हुए उस स्थान तक पहुंचे जहां एक छत पर उक्त परिवार के सदस्यों ने शरण ले रखी थी। इसके बावजूद पहले परिवार के सदस्यों को उन्होंने हेलीकॉप्टर से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के निर्देश दिए और बाद उन्हें एयरलिफ्ट किया गया।

         किसी राज्य सरकार के मंत्री द्वारा अपनी जान जोखिम डाल कर हेलीकॉप्टर से बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की इस खबर ने आज भले ही मध्यप्रदेश के गृहमंत्री को असीम प्रशंसा का हकदार बना दिया हो परंतु  नरोत्तम मिश्र इसे अपने कर्तव्यपालन के छोटे से उदाहरण से अधिक कुछ नहीं मानते। यहां उल्लेख भी मैं अवश्य करना चाहूंगा कि  सेवा को ही सर्वोपरि धर्म मानने वाले डा नरोत्तम मिश्र के कर्मठ जीवन में पीड़ित मानवता की सेवा के ऐसे अवसर अनेकों बार आ चुके हैं परंतु उन्होंने यश की कामना कभी नहीं की। उनके इसी मानवीय गुण ने उन्हें सफल राजनेताओं की कतार में अग्रणी बनाया है। मुझे अच्छी तरह याद है कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के कारण जब बडी संख्या में लोग अस्पतालों में भर्ती होकर अपना इलाज करा रहे थे तब नरोत्तम मिश्र स्वयं पीपीई किट पहनकर कोरोना पीड़ितों के स्वास्थ्य का हाल-चाल पूछने अस्पताल पहुंच गए थे। मुझे यह कहने में भी कोई संकोच नहीं है कि संवेदनशीलता का जो मानवीय गुण आज के समय में सत्ताधारी नेताओं में दुर्लभ होता जा रहा है वह संवेदनशीलता मध्यप्रदेश के वर्तमान गृहमंत्री के सहज सरल स्वभाव का अनिवार्य हिस्सा बन चुकी है।

(लेखक IFWJ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और डिज़ियाना मीडिया समूह के सलाहकार है)



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