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धर्मांधों ने देश में गृहयुद्ध आरंभ किया है; परंतु मुख्य प्रवाह के न्यूज चॅनेल तथाकथित 'सेक्युलरिजम' के नाम पर वह नहीं दिखाते !

 हरियाणा के 'मेवात' में ही अल्पसंख्यंक हिन्दुओ पर धर्मांधों ने अत्याचार किए हैं, ऐसा नही है; अपितु पूर्ण देश में ऐसी अनेक घटनाएं हो रही है । कुछ वर्ष पूर्व 'सुदर्शन चैनल' पर 'मिनी पाकिस्तान' नाम का कार्यक्रम दिखाया गया । उसमें हमने भारत के ऐसे एक हजार स्थान दिखाएं हैं । उनमें से 9 ऐसे हैं, जहां पिज्जा नहीं जाता कोई भी ऑनलाइन वस्तु घर पर ले जाकर नहीं दी जाती, अपराधी को पकडने पुलिस भी नहीं जाती । पुलिस को जाना हो तो परासैनिक बलों को साथ ले जाना पडता है । दिल्ली को भी धर्मांधों ने चारों ओर से घेर रखा है । दिल्ली के सिलमपूर में स्थिति 'मेवात' से भी गंभीर है । दो दिन पूर्व उत्तर प्रदेश के नोएडा में 200 धर्मांधों ने यादव समाज के लोगों पर हिंसक आक्रमण किया । उसमें महिलाओ के बलात्कार से लेकर हत्या तक सभी प्रयास किए गए । मीडिया को यह विषय जातीय न लगकर केवल कानून-व्यवस्था का लगता है; परंतु यह एक गृहयुद्ध है और वह देश में अनेक स्थानों पर चल रहा है । मुख्य प्रवाह के न्यूज चॅनेल 'सेक्युलरिजम' के नाम पर उन्हें दिखाती नहीं, ऐसा रहस्योद्घाटन 'सुदर्शन न्यूज चैनल' के मुख्य संपादक श्री. सुरेश चव्हाणके ने किया । वे 'हिन्दू जनजागृति समिति' आयोजित 'सेक्युलरवाद के नाम पर हिन्दू विरोधी पत्रकारिता' इस 'ऑनलाइन विशेष संवाद' में बोल रहे थे । यह कार्यक्रम समिति की वेबसाईट HinduJagruti. org, यू- ट्यूब और ट्विटर के द्वारा 5,400 से अधिक लोगों ने देखा ।


    इस समय 'ऑप इंडिया' इस वेबसाईट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री. राहुल रौशन ने कहा कि, देहली के दंगों के समय धर्मांधों ने पहले हिंसाचार चालू कर बस जलाई । यह घटना मुख्य प्रवाह की मीडिया ने हेतुपूर्वक नहीं दिखाई; परंतु हमने यह घटना देश के सामने लाई । इसलिए भाजपा के नेता श्री. कपिल मिश्रा को मुख्य आरोपी बनाने का उनका षडयंत्र असफल हो गया । 'NRC, CAA लागू होने पर मुसलमानों को देश के बाहर निकाला जाएगा', ऐसा बताकर दंगे करवाए जा रहे हैं, यह भी मीडिया ने नहीं दिखाया । इस समय बेंगळुरू के लेखक और स्तंभलेखक श्री. आभास मलदहियार ने कहा कि, कम्युनिस्ट पत्रकारों की मानसिकता समझनी चाहिए । उनका उद्देश्य हिन्दू विरोधी न होकर भारत विरोधी है । इसलिए वे प्रथम हिन्दू समाज को निशाना बनाकर दुर्बल कर रहे हैं । भारत विरोधी समाचार दिखा रहे हैं । यदि हिन्दू दुर्बल हो गए, तो वे देश पर स्वयं की विचारधारा प्रस्थापित कर पाएंगे । संवाद को संबोधित करते हुए 'सनातन प्रभात' नियतकालिक के सहसंपादक श्री. चेतन राजहंस ने कहा, 'कुंभमेले के कारण पूर्ण देश में कोरोना फैला', ऐसा दुष्प्रचार हिन्दूविरोधी प्रसिद्धिमाध्यमों ने किया; परंतु उत्तराखंड राज्य में 31 मार्च तक केवल 292 लोग कोरोना संक्रमित थे । साथ ही अप्रैल माह के अंत में भी यह संख्या अल्प थी । दूसरी ओर रमजान ईद के समय पूर्ण देश में अनेक स्थलों पर मुसलमानों ने खरीदारी के लिए भीड की । उस संदर्भ में मीडिया ने समाचार क्यों नहीं दिखाए ? समाज को सत्य बताना चाहिए । इस हेतु देशभक्त और हिन्दुत्वनिष्ठ पत्रकारों को एकजुट होकर संगठित होना चाहिए ।



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