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पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास द्वारा 16 वीं स्वास्थ्य परिचर्चा संपन्न कोविड-19 की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए डॉ आलोक हेमल ने दिए अहम सुझाव

  हेल्थ वेबिनार में डॉ. आलोक हेमल ने बताये कोविड-19 से बच्चों को कैसे बचाएं 


 बच्चों को कोरोना वायरस से बचाने में कारगर होंगे डॉ आलोक हेमल के बताए हेल्थ टिप्स 


नई दिल्ली/सतना/छतरपुर। चीनी वायरस कोविड-19 की दूसरी लहर भले ही कमजोर पड़ रही है, लेकिन यह वक्त लापरवाह होने का नहीं बल्कि और अधिक सावधानियां बरतने का है। एक तरफ कोरोना की तीसरी लहर को लेकर तरह-तरह की बातें की जा रही हैं वहीं इसका सबसे अधिक असर बच्चों पर पड़ने की आशंका जाहिर की जा रही हैं। ख़ास बात यह है कि आज के दौर में सोशल मीडिया आधारित ज्ञान कई तरह की समस्याएं पैदा कर रहा है। यही वजह है कि पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास इस चुनौतीपूर्ण समय में लगातार स्वास्थ्य परिचर्चाओं के जरिए लोगों तक सेहत से जुड़ी सही जानकारियां व जागरुकता पहुंचाने का कार्य कर रहा है। 22 मई (शनिवार) को न्यास द्वारा आयोजित सोलहवीं स्वास्थ्य परिचर्चा में देश के प्रख्यात चिकित्सक निदेशक एवं प्रोफ़ेसर (बाल रोग विभाग पं. अटलबिहारी वाजपेयी चिकित्सा विज्ञान संस्थान एवं डॉ. राममनोहर लोहिया अस्पताल नई दिल्ली) डॉ. आलोक हेमल जी ने 'कोविड काल में तीसरी लहर की चर्चा व बच्चों हेतु सावधानियां' विषय पर लोगों की जिज्ञासाओं का समाधान किया। माइक्रोसॉफ्ट टीम सॉफ़्टवेयर के माध्यम से उन्होंने बड़ी बेबाक़ी से सरल सहज भावों से लोगों के हर प्रश्न का उत्तर दिया। डेढ घंटे तक चली परिचर्चा में कोरोना की तीसरी लहर, ब्लैक फ़ंगस, श्वांस रोग, घर में रहने से उत्पन्न तनाव, वैक्सीन व इसके प्रभाव जैसे सभी प्रश्नों के उत्तर दिये गये । आज की इस परिचर्चा में 324 प्रश्न प्राप्त हुये थे, जिनके उत्तर डॉ. आलोक हेमल जी ने सरलता व समझाइस के साथ दिये। कुल 3024 मोबाइल फ़ोन/ लैपटॉप/ आईपैड/ टीवी स्क्रीन पर 6217  लोगों ने सपरिवार इसका लाभ उठाया। देश विदेश की अनेक बड़ी हस्तियों ने व छोटे गॉंव तक रहने वालों ने सहभागिता करके लाभ उठाया। 

         स्वास्थ्य परिचर्चा को संबोधित करते हुए डॉ. आलोक हेमल ने कहा कि कोरोना से पहले कॉलरा, प्लेग, इंन्फ्लुएंजा बीमारियां महामारी के रूप में चुनौतियां खड़ी कर चुकी हैं। लेकिन हर बार धैर्य और संयम के साथ हमने इन पर विजय प्राप्त की है। यदि हम बात करें कोविड-19 और इस वायरस से बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव की तो इसकी पहली लहर में भी बच्चे प्रभावित हुए थे, लेकिन यह संख्या बहुत कम थी। इसके प्रारंभिक लक्षणों में यही देखा गया कि बच्चों को भोजन में स्वाद नहीं मिलता था। 2021 में दूसरी लहर के दौरान हल्की सर्दी के मामले सामने आए थे, कुल मिलाकर बहुत हल्के लक्षण इस दौरान देखने को मिले हैं।

तीसरी लहर को लेकर इस समय जो बातें कही जा रही हैं, वह अपरिपक्व हैं। इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। यह आ भी सकती है और नहीं भी। ऐसा भी हो सकता है कि पिछली लहरों की तरह ही बच्चों को यह अधिक प्रभावित न करे। बच्चे जिन्हें पूर्व में किसी तरह की बीमारी है, उनके संक्रमित होने की आशंका अधिक होती है। माइल्ड लक्षणों में बुखार, गले में खरास, सर्दी-जुकाम और कमजोरी जैसे लक्षण सामने आते हैं। स्वाद और सुगंध भी चली जाती है, डायरिया भी एक प्रमुख लक्षण होता है। ध्यान रखिए, संक्रमित होने के 2 से 14 दिन में लक्षण सामने आते हैं। ऐसे मामलों में होम आइसोलेशन का सुझाव दिया जाता है। इस दौरान बुखार आदि की सामान्य दवाएं दी जाती हैं। माइल्ड में पल्स रेट सेचुरेशन 94 से ऊपर होता है। मॉडरेट में ऑक्सीजन सेचुरेशन 90 से 94 होती है। श्वास की दरें दो महीने से छोटा है तो 60 प्रति मिनट से ज्यादा, 2 माह से 1 साल का बच्चा है तो प्रतिमिनट 50 से ज्यादा, 1 से 5 साल के बच्चे में प्रतिमिनट 40 से ज्यादा, 5 साल से बड़े बच्चों में प्रतिमिनट 30 से ज्यादा श्वास दर है तो इसे हम मॉडरेट कटेगरी में रखते हैं। ऐसे बच्चों को जरुरत पड़ने पर ही अस्पताल में भर्ती किया जाता है। मॉडरेट में रेमडेसिविर, स्टीरॉयड, एंटीबायोटिक दवाएं प्रयोग में लाई जाती हैं।सीवियर कोविड-19 इंफेक्शन मामलों में बच्चे के गले से आवाज आने लगती है। सीने में संक्रमण के लक्षण दिखते हैं। बहुत कमजोरी आ जाती है। उल्टी-दस्त की शिकायत हो सकती है। ऐसे बच्चों को आईसीयू में भर्ती करना पड़ता है।

         आजकल ब्लैक फंगस की एक नई चुनौती सामने आ गई है। यह ब्लैक म्यूकर माइसोसिस के कारण होता है। यह गंदी सतह पर अधिक होता है। बच्चों में इसके लक्षण अभी नहीं आए हैं। एड्स, कोविड-19, किडनी, कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित बच्चों में इसकी आशंका अधिक होती है। ब्लैक म्यूकरमाइसोसि और व्हाइटम्यूकर माइसोसिस के प्रमुख लक्षण में बुखार, सिरदर्द, आंख में सूजन, धुंधला दिखाई देना, डबल विजन, दांतों का हिलना, आंख और नाक में कालापन इसके प्रमुख लक्षण होते हैं। इसका इलाज और दवाएं उपलब्ध हैं।बचाव के लिए यदि कोई बच्चा कोविड-19 से संक्रमित होता है, तो सर्वप्रथम उसे होम आइसोलेशन में रखें। हाथ धुलकर ही नाक, कान मुंह को स्पर्श करें। बच्चों की निगरानी रखें। अच्छे पोषक तत्वों से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का प्रयास करें। बच्चों के लिए भी जल्द ही वैक्सीनेशन प्रारंभ हो रहा है। वायरस के म्यूटेशन को लेकर तरह-तरह की बातें कही जा रही हैं। धीरे-धीरे यह बीमारी भी खत्म हो जाएगी।

न्यास के अध्यक्ष डॉ राकेश मिश्र ने स्वास्थ्य परिचर्चा का कुशल संचालन किया। इस दौरान उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि कोरोना की इस महामारी से बचाव के लिए टीकाकरण सबसे कारगर हथियार है। सभी लोगों को जल्द से जल्द टीका लगवाना चाहिए। उन्होंने बताया कि यह सभी परिचर्चा पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास की वेबसाइस व यूट्यूटब चैनल https://www.gpmsevanyas.org  को  सब्सक्राइब करके देख सकते हैं। अगली परिचर्चा शीघ्र ही नये विषय पर देश के ख्यातिलब्ध चिकित्सा विशेषज्ञ के साथ होगी। न्यास की सचिव श्रीमती आशा रावत ने अंत में सभी का आभार व्यक्त करते हुये कहा कि न्यास द्वारा आयोजित परिचर्चा में सभी अधिकारियों, नागरिकों, पत्रकारों, छात्रों, शिक्षकों, महिलाओं, बच्चों व सहयोगियों का ह्रदय से आभारी हैं। न्यास सदैव सेवा कार्यों के प्रति समर्पित रहा है उसी श्रृंखला में यह आयोजन हो रहे हैं।

 स्वास्थ्य परिचर्चा में पूछे गए प्रश्न एवं डॉ.आलोक हेमल जी द्वारा दिए गए उत्तर: 


 राकेश कुमार वर्मा : बच्चों में सामान्य बुखार और सर्दी-जुकाम होने पर कितने दिन बाद कोविड-19 की जांच करानी चाहिए?

 डॉ. आलोक हेमल- सामान्य बुखार आने पर परेशान होने की कोई बात नहीं। यदि परिवार में किसी को संक्रमण रहा हो तब आरटीपीसीआर जांच करा सकते हैं। अन्यथा तीन-चार दिन के बुखार पर सामान्य खून जांच कराकर आप बुखार की वजह का पता लगा सकते हैं। सीटी स्कैन तो तभी कराया जाता है जब डॉक्टर आश्वस्त हो जाते हैं कि यह कोविड-19 के लक्षण हैं।


 श्रीराम रिछारिया, विवेक स्वरुप- बच्चे लॉकडाउन के कारण घरों में बंद हैं। इसका असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ रहा है?

 डॉ. आलोक हेमल - उनका वर्कलोड कम करिए। इनडोर गेम्स खेलें। पढ़ाई को लेकर ज्यादा दबाव न बनाएं। 


 पल्लवी तिवारी- पति-पत्नी को कोविड हो गया था, इस बीच बच्चे को कैसे बचाएं?

 डॉ. आलोक हेमल - बच्चों को भी मास्क लगाएं। 10-17 दिन के बाद यदि कोई लक्षण नहीं आता है तो सामान्य रूप से माना जाता है कि संक्रमण नहीं होगा।


 पं.नारायण दास नायक - स्पुतनिक और फाइजर की वैक्सीन आई है, क्या कोविशील्ड और कोवैक्सीन लगवाने के बाद इन्हें भी लगवा सकते हैं।

 डॉ. आलोक हेमल- कोविशिल्ड या कोवैक्सीन दोनों ही कारगर हैं। उन्हें लगवाने के बाद नई वैक्सीन लेने का कोई औचित्य नहीं है। एक ही वैक्सीन पर्याप्त है।


 स्वाति वर्मा- आजकल बच्चों में तनाव, चिढ़चिड़ापन बढ़ रहा है, क्या बच्चों के लिए ऑनलाइन काउंसलिंग की कोई व्यवस्था है ?

 डॉ. आलोक हेमल - इसकी मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है। मुझे लगता है मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिकों से संपर्क किया जा सकता है। आजकल सभी डॉक्टर टेली मेडिसिन की सुविधा प्रदान कर रहे हैं।


 हरि अग्रवाल जी - टीवी पर बहुत जगह चर्चाएं होती हैं, लेकिन नकारात्मक खबरें ज्यादा होती हैं, इसके समाधान के लिए डॉक्टर आगे क्यों नहीं आते?

 डॉ. आलोक हेमल - हर जगह अच्छे प्रयास होते हैं। डॉक्टर जितना संभव होता है सही जानकारी देने के लिए आगे आते हैं। पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास जैसे मंच इस दिशा में अभूतपूर्व योगदान दे रहे हैं।


 प्रदीप खरे- सीटी स्कोर 12 तक रहा, डायबिटीक हूं, स्वस्थ महसूस कर रहा हूं, लेकिन अचानक लोगों की मृत्यु के समाचार आते हैं, इससे चिंता  बढ़ जाती है?

 डॉ. आलोक हेमल - रक्त की जांच बहुत जरुरी होती है। डॉक्टर यदि अस्पताल में भर्ती होने को कहे तो उसे मानें, डॉक्टर जब सलाह दें तभी आपको अस्पताल से छुट्टी लेनी चाहिए।ऑक्सीजन सेचुरेशन 94  से ऊपर चला गया तो लोगों को लगता है कि अब तो मैं ठीक हो गया हूं, लेकिन ऐसा नहीं होता। सावधानियां काफी समय तक रखनी होगी।


 चंद्रकांत पटेल- बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए क्या दवाएं दी जा सकती हैं?

 डॉ. आलोक हेमल- कुछ समय पहले कहा गया कि जिंक की दवाएं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक हो रही हैं। लेकिन इसके कारण दूसरी बीमारियां पैदा हो रही हैं। इसलिए मेरा सुझाव है कि घर पर ही व्यायाम करें। पोषक आहार लें। 


 चंद्रप्रकाश शिवहरे- क्या ब्लैक फंगस की कोई जांच होती है?

 डॉ. आलोक हेमल- इसकी जांच की व्यवस्था पहले से रही है। आज कल चूंकि यह बीमारी बढ़ गई है, इसलिए क्यूएच प्रिपरेशन और सीटी स्कैन से काफी हद तक इसका पता लगाया जा सकता है। क्यूएच प्रिपरेशन में हालाकि थोड़ा अधिक समय लगता है। एक तरफ सिरदर्द, आंख में सूजन, नाक बंद हो गया हो इसके प्रमुख लक्षण होते हैं।


 अवंतिका टंडन : मॉनसून आने वाला है, बरसात के मौसम में बच्चों से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, क्या बचाव के उपाय हैं?

 डॉ. आलोक हेमल- स्वच्छता का विशेष ख्याल रखें, साफ पानी पीएं। संभव हो तो उबला हुआ पानी पीएं।


 दीपन वर्मा - ब्लैक और व्हाइट फंगस होने के पीछे क्या मास्क लगाना भी एक बड़ी वजह है?

 डॉ. आलोक हेमल - कुछ बातें कब और कहां से समाज में प्रचारित हो जाती हैं इसका कोई सबूत नहीं होता है। यह सिर्फ सामान्य व्यक्ति के साथ नहीं बल्कि डॉक्टरों के साथ भी होता है। मैं आपको बता दूं कि एचआईवी जब बहुत ज्यादा फैल रहा था, तो डॉक्टरों के बीच कहा जाता था कि इसके रोगियों के इलाज के दौरान डबल ग्लब्स लगाएं। इसी प्रकार आपने देखा होगा कि जब कोविड-19 बहुत तेजी से फैल रहा था तो डबल मास्क लगाने को कहा गया था। हालांकि इससे कोई नुकसान नहीं है। लेकिन मेरा यही सुझाव है कि जो भी परामर्श आपके डॉक्टर या सरकार तथा प्रशासन की ओर से दिया जाता है, उसका पालन हमें करना चाहिए।

 प्रवीण गुप्ता- ऑक्सीजन कंसट्रेटर या जनरेटर आदि खरीद कर रख लिया था, इसे आगे भी रखना उचित है क्या?

 डॉ. आलोक हेमल - इसे दूसरे को उपयोग हेतु दे देना चाहिए। यह समय मानवता की सेवा का है। अपने पास रखिए लेकिन उसे दूसरों के सहयोग के लिए आगे बढ़ाते रहें।


 कामता पांडे - दूसरी लहर क्या अब समाप्त होने की कगार पर है या और बढ़ेगी?

 डॉ. आलोक हेमल - मैं ज्योतिष वैज्ञानिक तो नहीं हूं, लेकिन अपने अनुभव से कह सकता हूं कि लॉकडाउन की वजह से काफी स्थितियां सुधरी हैं। कोविड-19 की चेन को तोड़ने के लिए हमें लॉकडाउन हटने के बाद भी सावधानियां बरतनी होगी।


मंजू संजय शाह- डॉक्टर कोरोना संक्रमितों का इलाज करते हैं, इस दौरान कैसे बचाव करते हैं?

 डॉ. आलोक हेमल - डॉक्टर भी संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन कर्तव्यों का निर्वहन तो करना ही है। एक दूसरे का सहयोग करते है।रणनीति बनाकर कार्य किया जाता है कि एक ही समय में संक्रमण की चपेट में अधिक लोग न आएं। इससे पहले संक्रमण से बचाव के लिए हर मुमकिन प्रयास किए जाते हैं।


 सतेंद्र तिवारी- कोरोना महामारी के ईलाज के लिए बड़ों के लिए जो दवाएं उपयोगी हैं वही दवाएं क्या बच्चों को दी जा सकती हैं?

 डॉ. आलोक हेमल - सर्वप्रथम तो स्वयं ईलाज न करें। बिना डॉक्टरी परामर्श के दवाएं न लें। आपको लगेगा कि एक साधारण दवा को खाने से कोई नुकसान नहीं होगा लेकिन सामान्य दवा भी कब देना है यह डॉक्टर को ही पता होता है। अन्यथा छोटी सी दवा बहुत बड़ा नुकसान कर देगी।


 मेघा शर्मा - छह साल का बेटा है, जब भी खाना खाता है या खेल खेलता है तो ऊँचा की आवाज करता है?

 डॉ. आलोक हेमल - यदि बुखार, सर्दी-जुकाम नहीं है तो चिंता की बात नहीं है। थोड़ा इंतजार करें।

 सत्यभूषण जैन- बच्चों को कोविड-19 से बचाने के लिए क्या करें?

 डॉ. आलोक हेमल : घर पर ही रहें, इनडोर गेम्स खेलें। यदि लक्षण सामने आएं तो होम आइसोलेशन में रखें, उस कमरे में वैंटिलेशन की उचित व्यवस्था जरुर हो।


 अविनाश शर्मा- क्या वैक्सीनेशन के बाद शुगर लेवल बढ़ता है?

 डॉ. आलोक हेमल - डायबिटिक वाले मरीजों में शुगर लेवल बढ़ता है या नहीं इसकी अभी तक कोई वैज्ञानिक रिपोर्ट मेरे ध्यान में नहीं आई है। जैसे ही कोई जानकारी सामने आती है, अवश्य साझा करूंगा।


 संजीत रावत- बच्चे अंगूठे क्यों चूसते रहते हैं?

 डॉ. आलोक हेमल - यह हैबिट डिसऑर्डर है। इसे प्यार से छुड़वाएं।




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